
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने अब बड़े निर्माणों के लिए नई व्यवस्था बनाई है, जो रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के नियमों के तहत आते हैं। जिन भी प्रोजेक्ट्स का क्षेत्रफल 500 वर्ग मीटर से ज्यादा है या जिनके आठ से ज्यादा फ्लैट है उनका इस्तेमाल व्यवसायिक तौर पर करने के लिए उनका रेरा में रजिस्ट्रेशन होना जरुरी है। अब जीडीए मानचित्र पास करते समय ही यह साफ़ कर देना होगा कि निर्माण शुरू होने के तीन महीने के अंदर रेरा में पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।
साथ ही जीडीए ऐसे स्वीकृत मानचित्रों की जानकारी सीधे रेरा को भी भेजेगा, जिससे निगरानी करना और भी आसान हो जाएगा। इस काम के लिए तकनीकी सहायक प्रशांत को रिपोर्ट तैयार करने और सहायक अभियंता राज बहादुर सिंह को उसे समय पर रेरा को भेजने की जिम्मेदारी दी गई है।
सभी आर्किटेक्ट्स को भेजा जायेगा एक पत्र
हाल ही में हुई प्राधिकरण की बैठक में मुख्य अभियंता किशन सिंह ने आर्किटेक्ट्स को ऑनलाइन और शमन मानचित्रों की मंजूरी के लिए ज़रूरी निर्देशों का पालन करने को कहा। उन्होंने कहा कि अधिकांश आर्किटेक्ट्स सही फॉर्मेट का उपयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे बार-बार दिक्कत आ रही है। नक्शे पास होने में देरी हो रही है। इस समस्या को हल करने के लिए सभी आर्किटेक्ट्स को एक पत्र भेजा जाएगा। इस बैठक में कई सहायक और अवर अभियंता भी मौजूद थे।
नियमितीकरण क्षेत्र के नक्शे अटके
बैठक में चर्चा करके पता चला कि गाइडेंस न मिलने के कारण नियमितीकरण क्षेत्र के नक्शे अटके हुए हैं। इस समस्या को सुलझाने के लिए, उपाध्यक्ष ने नक्शा, वाद और नियोजन विभागों की एक संयुक्त बैठक बुलाकर एक मानक प्रक्रिया बनाने के निर्देश दिए।
निरीक्षण में इस वजह से हुई देरी
जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने दो नक्शों पर 23 और 27 दिनों से देरी होने पर नाराजगी जताई। ये नक्शे जूनियर इंजीनियर रोहित पाठक के पास थे। रोहित ने बताया कि नक्शे अवैध कॉलोनियों से जुड़े थे और वहां पहुंचना मुश्किल था, इसलिए निरीक्षण में देरी हुई। अधिकारीयों ने साफ निर्देश दिए है कि भविष्य में सभी नक्शों का काम तय समय में पूरा किया जाना चाहिए, वरना कार्रवाई की जाएगी।