
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने राज्य के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अबसे प्रथमिक विद्यालयों में बच्चों को मारना, डराना या डांटना तो दूर, उन्हें धमकाना या आंख दिखाना भी अपराध माना जाएगा। इसके अलावा अब कॉपी या किताब न लाने पर बच्चों को कक्षा में खड़ा करने की सजा या अपमानित करने जैसे कृत्य भी सख्त रूप से प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशन के अनुपालन में शुक्रवार को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को शासनादेश का हवाला देते हुए इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं।
शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश
शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है की नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, बाल संरक्षण आयोग के दिशा-निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत हर विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाए। जिसके तहत बच्चों का शारीरिक, मानसिक या सामाजिक उत्पीड़न जैसे उन्हें मारना-पीटना, अपमानित करना या उनके साथ भेदभाव या अनुचित टिप्पणी करना स्वीकार्य नहीं होगा। इसके साथ ही अधिकारीयों को यह निर्देश भी दिए गए हैं की शासनादेश की सॉफ्ट कॉपी भी सभी विद्यालयों के प्रधानध्यापकों और प्रबंधकों तक पहुंचाई जाए।
बच्चों को बताए जाएं उनके अधिकार
इस नई पहले से सभी छात्रों को आरटीआई एक्ट- 2009 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 में दिए गए प्रावधानों से परिचित करवाया जाएगा। इससे बच्चे उनके प्रति होने वाले उत्पीड़न या भेदभाव की शिकायत दर्ज करा सकेंगे। वहीं अगर किसी विद्यालय में बच्चों के साथ भेदभाव या अनुशासन के नाम पर धनद देने की शिकायत पाई जाती है, तो उस संबंधित शिक्षक या प्रबंधक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
टोल फ्री नंबर जारी
विभाग ने विद्यालयों में पाठन से जुड़े बच्चों, अभिभावकों या आम जनता की शिकायतों के समाधान हेतु जून 2024 में एक टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 भी जारी किया था। इस नंबर को सभी बेसिक विद्यालयों के नोटिस बोर्ड और मुख्य द्वार पर स्थाई रूप से प्रदर्शित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।