गंगा एक्सप्रेसवे के बाद यूपी में बनेगा नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, जमीन अधिग्रहण में आई बड़ी चुनौती

गंगा एक्सप्रेसवे के बाद, उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा बदलाव आने वाला है: एक नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर। यह कॉरिडोर राज्य की आर्थिक तस्वीर बदल सकता है, लेकिन इसकी शुरुआत में ही एक बड़ी रुकावट आ गई है। कॉरिडोर के लिए जमीन जुटाना एक चुनौती बन गया है, और किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। क्या सरकार इस समस्या को हल कर पाएगी या यह परियोजना अधूरी रह जाएगी?

By Pinki Negi

गंगा एक्सप्रेसवे के बाद यूपी में बनेगा नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, जमीन अधिग्रहण में आई बड़ी चुनौती
गंगा एक्सप्रेसवे

उत्तरप्रदेश के मेरठ में गंगा एक्सप्रेसवे का काम पूरा होने वाला है. अब सरकार चाहती है कि इसके किनारे एक औद्योगिक गलियारा बनाया जाएं. लेकिन इस परियोजना को पूरा करने के लिए पर्याप्त जमीन लेना जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी मुसीबत बन चुकी है. पहले चरण का काम पूरा करने के लिए 214 हेक्टेयर जमीन की ज़रूरत है, लेकिन सरकार को अभी तक सिर्फ 150 हेक्टेयर जमीन ही मिल पाई है.

पिछले कई महीनों से जमीन की खरीद लेन -देन पर रोक लगी हुई है. वहीं दूसरे चरण में 300 हेक्टेयर के लिए किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं. किसान 9 महीने से इसके विरोध में धरना दे रहे हैं. सरकार और यूपीडा का आदेश है कि जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराई जाए.

ज़मीन अधिग्रहण में आ रही दिक्कत

किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है, जिसके चलते काफी दिक्कत आ रही है. हाल ही में DM ने अपने अधिकारियों के साथ मिलकर एक मीटिंग रखी थी. इस मीटिंग के बाद सोमवार को तहसील प्रशासन ने एक ही दिन में 17 किसानों से 9 अलग-अलग बैनामों के माध्यम 9 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया.

12 जिलों में बनेंगे 1500 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारे

मेरठ का विकास करने के लिए मेरठ समेत 12 जिलों में कुल 1500 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारे बनाए जाने की तैयारी है. पहले चरण के लिए कुल 214 हेक्टेयर जमीन की ज़रूरत है, जिसकी खरीद का काम एक साल से ज़्यादा समय से चल रहा है. पिछले कई महीनों से जमीन की खरीद का काम रुका हुआ है. अभी तक किसानों से कुल 203 ज़मीन खरीदी है, जिसमें से 143 हेक्टेयर की खरीद के बाद काम रुक गया था.

इसके अलावा 11 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन में से अभी तक सिर्फ 7 हेक्टेयर ही मिल पाई है.जिला प्रशासन ने एक दिन में 17 किसानों से 9 बैनामों के ज़रिए 9 हेक्टेयर ज़मीन खरीदी, जिससे अब कुल 159 हेक्टेयर ज़मीन की व्यवस्था हो गई है.

दूसरे चरण के लिए किसान जमीन देने को तैयार नहीं

दूसरे चरण में औद्योगिक गलियारे बनाने के लिए तीन गांवों से 300 हेक्टेयर जमीन चाहिए. लेकिन अब किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन देने को तैयार नहीं हैं. वह पिछले साढ़े नौ महीने से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

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Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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