
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट कोषागार में हुए ₹43.13 करोड़ के बड़े घोटाले के बाद सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब पेंशन राशि और पेंशन एरियर का भुगतान अलग-अलग सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि भविष्य में किसी भी तरह की धोखाधड़ी या हेराफेरी को रोका जा सके। यह बदलाव इसलिए जरूरी था क्योंकि हालिया घोटाले में एक वरिष्ठ लिपिक ने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी करके करोड़ों रुपये फर्जी तरीके से ट्रांसफर कर दिए थे।
पेंशन और एरियर भुगतान के लिए नया सॉफ्टवेयर
सरकार ने एनआईसीएस सॉफ्टवेयर को नए सिरे से विकसित करने का फैसला किया है। इस नए सिस्टम में, पेंशन और एरियर (बकाया) के बिल अलग-अलग लिंक से बनाए जाएँगे, और भुगतान समूहों को पहचानने के लिए अतिरिक्त जानकारी भी जोड़ी जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिलों से जनरेट होने वाली रकम अलग-अलग लाभार्थियों में सही ढंग से बँटे, ताकि किसी भी एक खाते में गलती से गलत राशि न पहुँच जाए। इस संबंध में जिलाधिकारियों और कोषाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
पेंशन घोटाले की जाँच और ₹43 करोड़ के खातों की ऑडिट
एक बड़े पेंशन घोटाले का खुलासा होने के बाद, प्रशासन ने उन 93 पेंशनरों की सूची बनाई है जिनके खातों में ₹43.13 करोड़ ट्रांसफर किए गए थे। अब इन सभी बैंक खातों की विशेष जाँच की जा रही है। साथ ही, 24 जिलों के कोषागारों की पूरी तरह से ऑडिट (जाँच) करने का फैसला लिया गया है। 2018 से 2025 के बीच, सात सालों में, चिनूकट कोषागार से गलत खातों में एरियर भेजने की शिकायतें सामने आई थीं, जिनकी जाँच अब एसटीएफ कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इस हेराफेरी में से अब तक ₹3.62 करोड़ की राशि वापस मिल चुकी है।
पेंशन और एरियर के बिल अब बनेंगे अलग-अलग
शासन ने यह साफ कर दिया है कि पेंशन एरियर के भुगतान में होने वाली गड़बड़ी (हेराफेरी) की आशंका को रोकने के लिए, अब पूरे प्रदेश में पेंशन और एरियर के बिल अलग-अलग बनाए जाएँगे। यह नई व्यवस्था हमारी वित्तीय प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाएगी और इससे पेंशनरों का भुगतान भी पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा।









