
सड़क सुरक्षा को लेकर नियमों में भारी बदलाव किया गया है। अब अगर कोई नाबालिग बच्चा (18 साल से कम उम्र का) सड़क पर वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो इसके लिए सीधे तौर पर उसके माता-पिता या अभिभावक को कसूरवार माना जाएगा। इस नियम के तहत बच्चे पर नहीं, बल्कि उसके अभिभावक पर मुकदमा दर्ज होगा और उन्हें 25,000 रुपये का भारी जुर्माना भी भरना पड़ेगा। सरकार ने यह कड़ा कदम इसलिए उठाया है ताकि माता-पिता अपनी जिम्मेदारी समझें और कम उम्र के बच्चों को वाहन देने की गलती न करें, जिससे सड़क हादसों को रोका जा सके।
नाबालिगों की ड्राइविंग पर प्रशासन सख्त, अभिभावकों पर होगी कार्रवाई
कम उम्र और अनुभव की कमी के कारण नाबालिग चालकों से होने वाली सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिन्हें रोकने के लिए परिवहन विभाग अब बेहद सख्त रुख अपना रहा है। ARTO अंकिता शुक्ला और सीओ यातायात आलोक पाठक ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सड़कों पर वाहन दौड़ाते पाए जाने वाले नाबालिगों के माता-पिता के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि जब अभिभावक अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और बच्चों को वाहन देने से रुकेंगे, तभी सड़क हादसों की संख्या में प्रभावी रूप से कमी लाई जा सकेगी।
अनुभवहीन नाबालिग चालकों की लापरवाही जान पर पड़ रही भारी
सड़कों पर नाबालिग और अकुशल चालकों की वजह से होने वाली गंभीर दुर्घटनाएं अब एक डरावनी सच्चाई बन गई हैं। शहर से लेकर गांवों तक ऐसी घटनाएं आए दिन सुनने को मिल रही हैं, जिनमें तेज रफ्तार और अनुभव की कमी के कारण कई युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
ये नौसिखिया चालक न केवल अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य अनुभवी चालकों और राहगीरों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर रहे हैं। लगातार बढ़ती ये मौतें समाज और प्रशासन के लिए गहरी चिंता का विषय बन गई हैं, जिससे निपटने के लिए अब सख्त नियमों की जरूरत महसूस की जा रही है।
बिना ट्रेनिंग ड्राइविंग करना पड़ सकता है महंगा
सड़क पर नियमों का पालन करने वाले लोग भी अक्सर अनुभवहीन चालकों की लापरवाही की वजह से हादसों का शिकार हो जाते हैं। सुरक्षित ड्राइविंग को बढ़ावा देने के लिए परिवहन विभाग की ओर से मोटर ट्रेनिंग स्कूल और ऑटोमैटिक ड्राइविंग सेंटर चलाए जाते हैं, जहाँ आधुनिक सिमुलेटर और वास्तविक वाहनों के जरिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाती है।
यहाँ न केवल गाड़ी चलाना सिखाया जाता है, बल्कि सड़क सुरक्षा के नियमों की गहराई से जानकारी भी दी जाती है। इसके बावजूद, कई लोग बिना किसी उचित प्रशिक्षण के सड़क पर वाहन उतार देते हैं, जो न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि खुद की और दूसरों की जान के लिए भी जानलेवा साबित होता है।
अब नाबालिग ड्राइविंग पर अभिभावकों की खैर नहीं
कानून की किताबों में नाबालिगों द्वारा गाड़ी चलाने पर अभिभावकों को दोषी मानने और उन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान काफी पुराना है। हालांकि, अब तक पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा इस नियम को कड़ाई से लागू नहीं किया गया था, जिसके कारण लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे। लेकिन अब प्रशासन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। सड़क हादसों में होने वाली मौतों को रोकने के लिए अब न केवल भारी जुर्माना वसूला जाएगा, बल्कि दोषी अभिभावकों पर मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा। अब समय आ गया है कि माता-पिता इस नियम को समझें और अपने बच्चों को बिना लाइसेंस सड़क पर वाहन ले जाने से रोकें।









