राजस्थान में अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों से विशेषज्ञता (MD/MS) की पढ़ाई करना डॉक्टरों के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता के साथ आएगा। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी से निपटने के लिए भजनलाल सरकार ने एक कड़ा और अभूतपूर्व कदम उठाया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर सर्विस बॉन्ड की राशि में पांच गुना तक की भारी बढ़ोतरी कर दी है।

नए नियमों के तहत, अगर कोई डॉक्टर सरकारी कॉलेज से पीजी करने के बाद निर्धारित समय तक राज्य में अपनी सेवाएं नहीं देता है, तो उसे हर्जाने के तौर पर ₹1.5 करोड़ तक की भारी-भरकम राशि चुकानी होगी। यह फैसला आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होगा और इसका सीधा उद्देश्य डॉक्टरों को प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में बनाए रखना है।
क्यों लिया गया यह सख्त फैसला?
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस नीति का एकमात्र और स्पष्ट लक्ष्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। अक्सर यह देखा गया है कि डॉक्टर सरकारी कॉलेजों की सब्सिडाइज्ड सीटों पर विशेषज्ञता हासिल करने के बाद बेहतर अवसरों के लिए निजी अस्पतालों या दूसरे राज्यों का रुख कर लेते हैं, जिससे प्रदेश की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाती है। सरकार का मानना है कि यह नई बॉन्ड नीति इस पलायन को रोकने में कारगर साबित होगी।
किस ब्रांच के लिए कितना बड़ा बॉन्ड?
विभाग ने अलग-अलग मेडिकल विशेषज्ञताओं की मांग और महत्व के आधार पर बॉन्ड की राशि को चार मुख्य श्रेणियों में बांटा है। पहले जहां कई पीजी कोर्सेज के लिए बॉन्ड की राशि काफी कम थी, अब उसे विशेषज्ञता के अनुसार काफी बढ़ा दिया गया है।
1. ₹1.5 करोड़ की बॉन्ड राशि (सर्वाधिक मांग वाली ब्रांच):
- स्किन (Dermatology)
- रेडियोलॉजी (Radio-Diagnosis)
- गायनेकोलॉजी (Obstetrics & Gynaecology)
- जनरल मेडिसिन
2. ₹1 करोड़ की बॉन्ड राशि:
- हड्डी रोग (Orthopedics)
- शिशु रोग (Pediatrics)
- टीबी एंड चेस्ट
- नेत्र रोग (Ophthalmology)
- ट्रोमेटोलॉजी और जनरल सर्जरी
- मनोरोग (Psychiatry)
3. ₹50 लाख की बॉन्ड राशि:
- ईएनटी, इमरजेंसी मेडिसिन
- रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन
- निश्चेतना (Anesthesia), पैथोलॉजी
- और अन्य संबंधित ब्रांच
4. ₹25 लाख की बॉन्ड राशि (नॉन-क्लिनिकल ब्रांच):
- बायोकेमेस्ट्री, एनाटॉमी, फिजियोलॉजी
- फॉरेंसिक मेडिसिन, फार्माकॉलोजी
- और कम्युनिटी मेडिसिन (PSM)
सरकार का तर्क और डॉक्टरों के लिए विकल्प
इस भारी-भरकम बॉन्ड राशि पर सरकार का तर्क है कि यह निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स की शिक्षण शुल्क के लगभग बराबर है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह किसी भी छात्र के लिए सरकारी कॉलेज चुनने की बाध्यता नहीं है। जो छात्र इस बॉन्ड की शर्तों से सहमत नहीं हैं, उनके पास सशुल्क सीटों पर निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने का विकल्प हमेशा खुला रहेगा।
यह नीति जहां एक ओर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, वहीं युवा डॉक्टरों पर पड़ने वाले वित्तीय और पेशेवर दबाव को लेकर एक नई बहस भी छिड़ सकती है।
