
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। अब अगर सड़क, सीवर लाइन, नर्मदा पाइपलाइन या किसी भी अन्य सरकारी निर्माण के लिए किसानों की ज़मीन अधिग्रहित की जाएगी, तो उन्हें दोगुना और बेहतर मुआवज़ा मिलेगा। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि किसान लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि उन्हें उनकी ज़मीन का उचित मूल्य नहीं मिलता था, जिससे उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती थी। सरकार के इस कदम से गाँव-गाँव में खुशी का माहौल है।
ज़मीन अधिग्रहण पर अब मिलेगा सिंचित भूमि का मुआवज़ा
नई पॉलिसी के तहत, अब जब भी किसानों की ज़मीन किसी प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की जाएगी, तो उन्हें मिलने वाले मुआवज़े की गणना सिंचाई वाली ज़मीन (सिंचित भूमि) की दर पर की जाएगी। पहले चाहे ज़मीन बंजर हो या आंशिक सिंचाई वाली, उसका मुआवज़ा कम मिलता था। लेकिन अब, नई नीति से मुआवज़े की राशि अपने आप बढ़ जाएगी, क्योंकि सिंचित भूमि का रेट हमेशा सबसे अधिक होता है।
भूमि अधिग्रहण पर कलेक्टर रेट का दोगुना मुआवज़ा
अब यदि विकास कार्यों के लिए किसी किसान की ज़मीन अधिग्रहित की जाती है, तो उसे कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से तय ज़मीन के मूल्य का दोगुना पैसा मिलेगा। सरकार का कहना है कि इस दोगुने मुआवज़े में ज़मीन के नुकसान का पूरा हिसाब शामिल है, ताकि किसान विकास कार्यों में बाधा न बनें और उन्हें भी मुनाफ़ा महसूस हो।
ज़मीन बँटने पर किसानों को मिलेगा अतिरिक्त मुआवज़ा
अक्सर हाईवे या किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए जब किसानों के खेत के बीच से सड़क निकलती है, तो उनका खेत दो हिस्सों में बँट जाता है, जिससे उनकी खेती और कमाई पर बुरा असर पड़ता है। नई सरकारी पॉलिसी में यह नियम बनाया गया है कि यदि किसी प्रोजेक्ट में किसान की आधी से ज़्यादा ज़मीन चली जाती है, तो उसे मिलने वाले दोहरे मुआवज़े के अलावा, सरकार द्वारा अलग से अतिरिक्त आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी।
सिंचाई वाली ज़मीन अधिग्रहण पर दोगुना मुआवज़ा
गाँवों में अक्सर यह समस्या रहती है कि सड़क या रास्ता सीधे खेतों के बीच से निकाला जाता है, जिससे सिंचाई वाली उपजाऊ ज़मीन को भारी नुकसान होता है। इस समस्या को देखते हुए, सरकार ने अब नियम बदल दिया है: यदि सड़क बनाने के लिए सिंचाई वाली ज़मीन का अधिग्रहण किया जाता है, तो किसानों को दोगुना मुआवज़ा दिया जाएगा। इस तरह सरकार उपजाऊ ज़मीन के नुकसान की पूरी भरपाई करेगी।
नई भूमि अधिग्रहण नीति से किसानों को राहत
अब किसान इस डर में नहीं रहेंगे कि ज़मीन जाने से उनका नुक्सान होगा। सरकार की नई नीति का संदेश साफ़ है: विकास कार्य भी होंगे और किसानों को उनका पूरा हक़ भी मिलेगा। इस नई पॉलिसी से किसानों की आमदनी सुरक्षित रहेगी, विकास के काम बिना किसी रुकावट के चलेंगे, और ज़मीन अधिग्रहण को लेकर होने वाले विवाद, आंदोलन या उग्र विरोध की घटनाएँ कम होंगी।









