बिहार में लागू होगी 100% डोमिसाइल नीति! तेजस्वी यादव ने किया बड़ा ऐलान – जानें क्या है यह पॉलिसी और किन राज्यों में है लागू

बिहार में डोमिसाइल नीति-Domicile Policy लागू करने की मांग ने नया मोड़ ले लिया है। बिहार स्टूडेंट यूनियन के आंदोलन और तेजस्वी यादव की घोषणा ने इस मुद्दे को चुनावी बहस का केंद्र बना दिया है। विभिन्न राज्यों के अनुभवों से यह स्पष्ट है कि डोमिसाइल नीति स्थानीय युवाओं के लिए अवसर सृजन का माध्यम बन सकती है, लेकिन इसके लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद आवश्यक है।

By GyanOK

बिहार में लागू होगी 100% डोमिसाइल नीति! तेजस्वी यादव ने किया बड़ा ऐलान – जानें क्या है यह पॉलिसी और किन राज्यों में है लागू
Domicile Policy

बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के बीच डोमिसाइल नीति-Domicile Policy का मुद्दा एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है। विशेषकर बिहार स्टूडेंट यूनियन द्वारा आगामी 5 जून को घोषित महाआंदोलन ने इस विषय को राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में पुनः जीवंत कर दिया है। आंदोलन की घोषणा करते हुए छात्र नेता दिलीप ने स्पष्ट किया है कि यह प्रयास राज्य में पारदर्शी बहाली प्रक्रिया और स्थानीय युवाओं के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से किया जा रहा है। वहीं, इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाज़ी ने भी माहौल को गर्म कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से तेजस्वी यादव की तस्वीर के साथ यह घोषणा की गई कि यदि उनकी सरकार बनी तो बिहार में 100% डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी।

तेजस्वी यादव और डोमिसाइल नीति का वादा

राजद नेता तेजस्वी यादव ने मार्च में आयोजित युवा चौपाल के दौरान इस नीति की वकालत करते हुए स्पष्ट घोषणा की थी कि उनकी पार्टी की सरकार बनते ही राज्य में 100% मूल निवास नीति लागू की जाएगी। उन्होंने कहा था कि बिहार के युवाओं को बाहरी प्रतियोगिता से राहत दिलाना उनकी प्राथमिकता होगी। झारखंड में इसी तरह की नीति लागू करने की असफलता को स्वीकारते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि बिहार में उन्होंने इस दिशा में कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेकर रास्ता तैयार कर लिया है।

डोमिसाइल नीति-Domicile Policy क्या है और क्यों ज़रूरी है?

डोमिसाइल नीति भारत के कई राज्यों में लागू है और इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के स्थायी निवासियों को नौकरी, शिक्षा, और अन्य सरकारी लाभों में प्राथमिकता देना है। यह नीति राज्य की सामाजिक संरचना की रक्षा करने के साथ-साथ युवाओं को स्थानीय स्तर पर अवसर प्रदान करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है। हालांकि, यह नीति कभी-कभी भारत के संघीय ढांचे पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर देती है और इसे अदालतों तक भी ले जाया गया है।

राज्यों में डोमिसाइल नीति के विविध रूप

भारत के विभिन्न राज्यों में डोमिसाइल नीति के विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। महाराष्ट्र में मराठी भाषी स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता दी जाती है, वहीं उत्तराखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में केवल राज्य के निवासी ही पात्र माने जाते हैं। गुजरात में स्थानीय निवासियों को 60% तक आरक्षण प्राप्त है जबकि असम में असम समझौते के अंतर्गत स्थानीय पहचान को प्राथमिकता दी जाती है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी जनजातीय समुदायों के लिए विशेष आरक्षण व्यवस्था लागू है।

उत्तर प्रदेश, बंगाल और केरल: बिना डोमिसाइल के उदाहरण

इसके विपरीत उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू नहीं है। वहां की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में स्थानीय निवासियों को विशेष प्राथमिकता नहीं दी जाती, जिससे इन राज्यों में बाहरी उम्मीदवारों की उपस्थिति अधिक दिखाई देती है।

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