
आजकल लोग बचत खातों (Savings Account) के मुकाबले फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा जमा करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, बैंकों में जमा कुल राशि में FD का हिस्सा बढ़कर 62% हो गया है, जो पिछले दो सालों में सबसे अधिक है। वहीं दूसरी ओर, बचत खातों में पैसा रखने का चलन कम हुआ है। इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि बैंक अब FD पर पहले से बेहतर ब्याज दे रहे हैं, जिसका फायदा उठाने के लिए लोग अपनी बचत को फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर रहे हैं।
एफडी (FD) की ओर बढ़ता ग्राहकों का रुझान
आज के दौर में डिजिटल बैंकिंग ने ग्राहकों को बहुत जागरूक और ताकतवर बना दिया है। अब लोग बैंक जाए बिना ही घर बैठे अपने सेविंग्स अकाउंट के पैसे को आसानी से एफडी (Fixed Deposit) में बदल रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसका मुख्य कारण सेविंग्स अकाउंट के मुकाबले एफडी पर मिलने वाला दोगुना ब्याज है। जहाँ सेविंग्स अकाउंट में सिर्फ 2-3% ब्याज मिलता है, वहीं एफडी पर 6 से 8% तक रिटर्न मिल रहा है। साथ ही, भविष्य में ब्याज दरें कम होने की आशंका के चलते लोग अभी से ऊंचे रेट्स पर अपनी एफडी लॉक करना बेहतर समझ रहे हैं।
बैंकों के सामने जमा राशि की कमी का संकट
आजकल बैंकों के पास नकदी (कैश) की काफी कमी हो गई है क्योंकि लोग बैंकों में पैसा जमा करने के बजाय उसे शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। दूसरी ओर, बैंक से कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उस तुलना में बैंक के पास पैसा जमा नहीं हो रहा है। इस स्थिति के कारण बैंकों पर अपनी जमा राशि बढ़ाने का भारी दबाव है, जिसका सीधा असर उनके मुनाफे और कामकाज पर पड़ रहा है।
बैंकों में FD पर ब्याज कम न होने की वजह
फरवरी 2025 से आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 1% की बड़ी कटौती किए जाने के बावजूद, बैंक अपनी एफडी (FD) की ब्याज दरों को घटाने के लिए तैयार नहीं हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि बैंकों के पास लोन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है, जिसे पूरा करने के लिए उन्हें ज़्यादा पैसों की ज़रूरत है। बैंक चाहते हैं कि लोग उनके पास ज़्यादा जमा (डिपॉजिट) रखें, ताकि उनके पास नकदी की कमी न हो, इसीलिए वे फिलहाल ब्याज दरें कम करने से बच रहे हैं।









