शुक्रवार की सुबह भारत के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे, दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) पर सैकड़ों यात्रियों के लिए किसी बुरे सपने की तरह थी। एक बड़ी तकनीकी खराबी के कारण हवाई अड्डे का पूरा ऑपरेशन चरमरा गया, जिससे 100 से अधिक उड़ानों में देरी हुई और उत्तर भारत के कई हवाई अड्डों पर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। यह समस्या गुरुवार देर रात शुरू हुई, जब एयरपोर्ट के सेंट्रल एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया।

दिल्ली का IGI एयरपोर्ट हर घंटे 60 से ज्यादा विमानों की आवाजाही को संभालता है, जिससे यहाँ रोजाना लगभग 1,500 विमानों का आगमन और प्रस्थान होता है । ऐसे में एक छोटी सी भी गड़बड़ी पूरे देश के एयर नेटवर्क को प्रभावित कर सकती है, और शुक्रवार को ठीक यही हुआ।
क्या हुआ था दिल्ली एयरपोर्ट पर? AMSS सिस्टम की विफलता
इस पूरी अफरातफरी की जड़ ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में आई एक तकनीकी खराबी थी । एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने पुष्टि की कि इस सिस्टम के ठप हो जाने के कारण ही उड़ान संचालन में देरी हुई।
सरल शब्दों में, AMSS एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का “दिमाग” या एक “डिजिटल पोस्टमैन” है। यह सिस्टम उड़ान योजनाओं, मौसम की जानकारी, क्लीयरेंस और अन्य महत्वपूर्ण डेटा को एयरलाइंस, पायलटों और विभिन्न ATC यूनिट्स के बीच स्वचालित रूप से आदान-प्रदान करता है। जब यह ऑटोमैटिक सिस्टम फेल हो गया, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को हर एक उड़ान की जानकारी को मैन्युअल रूप से प्रोसेस और वेरिफाई करना पड़ा । यह एक बेहद धीमी और थकाऊ प्रक्रिया थी, ठीक वैसे ही जैसे कंप्यूटर के बिना हाथ से सैकड़ों लोगों का हिसाब-किताब रखना।
इसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली के व्यस्त हवाई क्षेत्र में विमानों की भीड़ लग गई। विमानों को उड़ान भरने या उतरने की मंजूरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, जिससे पूरे नेटवर्क पर देरी का असर पड़ा।
क्या होता है एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC)?
एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) किसी भी हवाई अड्डे का नर्वस सिस्टम होता है। यह जमीन और आसमान में विमानों के सुरक्षित और व्यवस्थित संचालन को सुनिश्चित करता है। ATC के बिना, आसमान में अराजकता फैल जाएगी और विमानों के टकराने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।
ATC के मुख्य कार्य हैं:
- विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखना।
- खराब मौसम और अन्य खतरों से बचने के लिए पायलटों को निर्देश देना।
- टेक-ऑफ और लैंडिंग को व्यवस्थित करना।
यह पूरा सिस्टम रडार, उड़ान योजनाओं, ट्रांसपोंडरों और मौसम सेंसरों से लगातार भारी मात्रा में डेटा इकट्ठा करता है। इस डेटा की मदद से आसमान का एक लाइव नक्शा तैयार किया जाता है, जिससे कंट्रोलर्स को विमानों की सटीक स्थिति का पता चलता है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर बार-बार क्यों आ रही है तकनीकी खराबी?
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पर इस तरह की तकनीकी समस्या सामने आई है। हाल के कुछ हफ्तों में हवाई अड्डे को GPS स्पूफिंग की घटनाओं के कारण भी बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा है।
क्या है GPS स्पूफिंग?
GPS स्पूफिंग एक ऐसी खतरनाक तकनीक है जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजकर विमान के नेविगेशन सिस्टम को गुमराह किया जाता है। इससे पायलट को विमान की गलत स्थिति, ऊंचाई या रास्ते की जानकारी मिलती है। यह GPS जैमिंग से अलग है, जिसमें सिग्नल को सिर्फ ब्लॉक किया जाता है। स्पूफिंग में गलत डेटा भेजा जाता है, जो और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
जब स्पूफिंग होती है, तो पायलटों को नेविगेशन के लिए पूरी तरह से ATC कंट्रोलर्स पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनका काम और तनाव काफी बढ़ जाता है। पिछले महीने, वियना से दिल्ली आ रही एक उड़ान को इसी तरह की सिग्नल खराबी के कारण दुबई डायवर्ट करना पड़ा था।
इस घटना का क्या मतलब है?
दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई यह घटना आधुनिक विमानन प्रणालियों की कमजोरियों को उजागर करती है। आज के समय में जब सब कुछ ऑटोमेशन और कंप्यूटर पर निर्भर है, एक छोटी सी तकनीकी खराबी भी पूरे सिस्टम को ठप कर सकती है। यह घटना हमें बताती है कि:
- बैकअप सिस्टम की जरूरत: महत्वपूर्ण प्रणालियों के लिए मजबूत और विश्वसनीय बैकअप सिस्टम होना अनिवार्य है।
- साइबर सुरक्षा का महत्व: GPS स्पूफिंग जैसी घटनाएं दिखाती हैं कि हमारे विमानन नेटवर्क को साइबर हमलों से बचाने की सख्त जरूरत है।
- मानवीय कौशल का महत्व: तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स जैसे कुशल मानव पेशेवरों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रहेगी।
शुक्रवार की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हवाई यात्रा की सुरक्षा और सुचारू संचालन के लिए इन जटिल प्रणालियों का हर समय flawlessly काम करना कितना आवश्यक है। उम्मीद है कि AAI और संबंधित एजेंसियां इस घटना की गहन जांच करेंगी और भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए जरूरी कदम उठाएंगी।








