
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBBSE) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब गर्मी की छुट्टियाँ 11 दिन से घटाकर केवल 6 दिन की कर दी गई हैं। नई गाइडलाइंस के अनुसार, ग्रीष्मकालीन अवकाश 11 मई से 17 मई तक रहेगा। यह नियम राज्य के सभी WBBSE-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा। बोर्ड का कहना है कि यह फैसला पढ़ाई के समय को बढ़ाने और छात्रों के शैक्षणिक नुकसान को कम करने के लिए लिया गया है।
पश्चिम बंगाल में छुट्टियों का नया शेड्यूल
पश्चिम बंगाल में भले ही गर्मी की छुट्टियों (समर वेकेशन) को 11 दिन से घटाकर 6 दिन कर दिया गया है, लेकिन छात्रों को त्योहारों पर बड़ी राहत दी गई है। दुर्गा पूजा, काली पूजा और भाईफोंटा के दौरान छात्रों और शिक्षकों को लगातार 25 दिनों की लंबी छुट्टी मिलेगी। छुट्टियों में यह बदलाव छात्रों और स्कूल स्टाफ दोनों के लिए सुकून देने वाला है।
उत्तर पुस्तिकाओं के लिए नए कड़े नियम
पश्चिम बंगाल हायर सेकेंडरी एजुकेशन काउंसिल (WBCHSE) ने 2026 की 12वीं (हायर सेकेंडरी) परीक्षा के लिए दो बड़े और सख्त बदलाव किए हैं। पहला नियम यह है कि अब हर छात्र की उत्तर पुस्तिका के अंतिम पेज पर परीक्षक या इनविजिलेटर के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। बिना हस्ताक्षर वाली कॉपी को अमान्य माना जा सकता है। दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि 2026 से अतिरिक्त सप्लीमेंट्री शीट (ज्यादा पेज) देने की सुविधा पूरी तरह खत्म कर दी गई है। अब छात्रों को केवल दी गई मुख्य उत्तर पुस्तिका में ही अपना पूरा पेपर समाप्त करना होगा।
काउंसिल ने एक नया नियम लागू
काउंसिल ने एक नया नियम लागू किया है ताकि उत्तर पुस्तिकाओं (Answer Sheets) से जुड़े विवाद कम हो सकें। अक्सर छात्र RTI के माध्यम से यह दावा करते हैं कि उन्होंने कुछ अतिरिक्त पेज लिखे थे, लेकिन वे उनकी कॉपी में मौजूद नहीं होते। अब, उत्तर पुस्तिका के अंतिम पेज पर हस्ताक्षर होने से यह साफ हो जाएगा कि कोई पेज गायब हुआ है या नहीं। इस नियम को लागू करने से न केवल छात्रों की शिकायतें दूर होंगी, बल्कि कानूनी विवाद भी कम हो जाएँगे।
विवादित प्रश्नों पर सख्ती
पश्चिम बंगाल हायर सेकेंडरी एजुकेशन काउंसिल ने साफ कर दिया है कि 2026 की माध्यमिक परीक्षा में कोई भी विवादित प्रश्न नहीं पूछा जाएगा। यदि फिर भी ऐसा कोई प्रश्न आता है, तो इसके लिए संबंधित स्कूल के हेडमास्टर जिम्मेदार माने जाएंगे और उन पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यह फैसला छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने, परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने, कानूनी मामलों को कम करने और राष्ट्रीय स्तर के परीक्षा मानकों को लागू करने जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए लिया गया है।









