
उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अब इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास तेज़ी से होगा। इन दोनों राज्यों को जोड़ने वाला देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, पानीपत से गोरखपुर हाईस्पीड कॉरिडोर, अब जल्द ही हकीकत बनने वाला है। लगभग 750 किलोमीटर लंबा यह सुपर हाईवे सफ़र को सुरक्षित और तेज़ बनाएगा, साथ ही पश्चिमी से पूर्वी यूपी तक की आर्थिक गतिविधियों में बड़ा बदलाव लाएगा। इस विशाल प्रोजेक्ट के पूरा होने से यूपी के 22 ज़िलों की कनेक्टिविटी और विकास की दिशा पूरी तरह बदल जाएगी।
NHAI प्रोजेक्ट की DPR तैयार, मार्च 2025 में काम शुरू
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की डीटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) लगभग पूरी कर ली है। यह रिपोर्ट जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ साझा की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट का काम मार्च 2025 तक आवंटित कर दिया जाएगा, जिसके तुरंत बाद निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू होगा। माना जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट उत्तर भारत के विकास में एक बड़ा बदलाव (गेमचेंजर) ला सकता है।
यूपी के 22 जिलों को हाईस्पीड कॉरिडोर से बड़ा लाभ
यह हाईस्पीड कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के 22 बड़े ज़िलों से होकर गुज़रेगा, जिनमें सहारनपुर, मेरठ, लखनऊ और गोरखपुर जैसे मुख्य ज़िले शामिल हैं। इस बड़े नेटवर्क के बनने से पश्चिमी यूपी से पूर्वी यूपी तक उद्योग, व्यापार और लॉजिस्टिक (सामानों के आवागमन) की गतिविधियों में बहुत तेज़ी आएगी। इससे पूरे क्षेत्र में नए व्यापार, उद्योग, वेयरहाउसिंग सेंटर (गोदाम) बनेंगे और हज़ारों नए रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे से जुड़कर आसान होगी यात्रा
इस हाईवे को गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे जैसे कई बड़े राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे से जोड़ने की योजना है। इन एक्सप्रेसवे से जुड़ जाने के बाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच यात्रा करना और सामान पहुँचाना (माल ढुलाई) बहुत आसान और तेज हो जाएगा। इससे लॉजिस्टिक्स का खर्च कम होगा और राज्यों के बीच व्यापार को काफ़ी बढ़ावा मिलेगा।
नया हाईवे घटाएगा गोरखपुर से पानीपत की दूरी
लगभग ₹1500 करोड़ की अनुमानित लागत से बनने वाले इस बड़े हाईवे के कारण, गोरखपुर से पानीपत तक की दूरी तय करने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा।









