
भारत में पारंपरिक रीति-रिवाजों से विवाह करने की परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन बदलते समय और कानूनी आवश्यकताओं के कारण अब शादी का पंजीकरण यानि Marriage Registration करवाना अनिवार्य हो चुका है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि केवल विशेष विवाह अधिनियम Special Marriage Act के अंतर्गत ही विवाह का पंजीकरण आवश्यक होता है, जबकि सच्चाई यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम-Hindu Marriage Act, 1955 के अंतर्गत हुई शादियों का पंजीकरण भी उतना ही जरूरी है जितना अन्य धर्मों या Special Marriage act के तहत हुई शादियों का पंजीकरण।
मैरिज सर्टिफिकेट वैध कानूनी पहचान
मैरिज सर्टिफिकेट न सिर्फ एक सरकारी दस्तावेज़ है, बल्कि यह ये साबित करता है कि दो व्यक्ति कानूनी रूप से पति-पत्नी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एक ऐतिहासिक निर्णय में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए शादी के पंजीकरण को सभी धर्मों के लिए अनिवार्य कर दिया था। इसके बिना दंपति को कई कानूनी और प्रशासनिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वर की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और वधु की 18 वर्ष तय की गई है, जबकि विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत दोनों पक्षों के लिए यह आयु सीमा 21 वर्ष है।
शादी के पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज़
शादी का पंजीकरण कराने के लिए कुछ दस्तावेज़ अनिवार्य होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं: आवेदन फॉर्म, विवाह का निमंत्रण पत्र, आयु और निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर पति-पत्नी के अलग-अलग शपथ पत्र। इसके अतिरिक्त, तलाकशुदा होने पर तलाक आदेश, पूर्व जीवनसाथी की मृत्यु होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र, नाम बदलने की स्थिति में राजपत्र की प्रति और यदि कोई विदेशी नागरिक है, तो वैवाहिक स्थिति का प्रमाण पत्र। गवाहों के दस्तावेज़ में उनका पैन कार्ड और निवास प्रमाण शामिल होता है।
पंजीकरण की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है?
शादी का पंजीकरण कराने की प्रक्रिया सरल किंतु चरणबद्ध होती है। सबसे पहले दंपति को उस क्षेत्र के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्यालय में जाना होता है, जहां विवाह हुआ है या जहां वे रहते हैं।
फॉर्म भरने और दस्तावेज़ जमा करने के बाद, इनका सत्यापन किया जाता है और अपॉइंटमेंट की तारीख दी जाती है। यदि विवाह विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हुआ है, तो प्रक्रिया में लगभग 60 दिन लगते हैं, वहीं हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत 15 दिन में पंजीकरण की तिथि मिल जाती है।
अपॉइंटमेंट के दिन, दंपति और उनके गवाहों को उपस्थित रहना अनिवार्य है। अब यह प्रक्रिया कई राज्यों में ऑनलाइन भी की जा सकती है, जिससे यह और भी सुविधाजनक हो गई है।
हालांकि कुछ राज्यों में ये प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन प्रोसेस में बदल चुकी है जहां केवल CSC सेंटर में जाकर आप विवाह पंजीकरण करवा सकते हैं लेकिन इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों का होना जरूरी है.
मैरिज सर्टिफिकेट कहां-कहां आता है काम
- मैरिज सर्टिफिकेट कई महत्वपूर्ण अवसरों पर आवश्यक हो जाता है। यदि आप पति के वीजा पर विदेश यात्रा करना चाहती हैं, संयुक्त स्वामित्व की संपत्ति खरीदना है या होम लोन के लिए आवेदन करना है, तब यह दस्तावेज़ अनिवार्य है।
- भारत सहित कई विदेशी दूतावास पारंपरिक विवाह को मान्यता नहीं देते, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैवाहिक स्थिति प्रमाणित करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है।
- इसके अतिरिक्त, संपत्ति उत्तराधिकार, बीमा लाभ, पारिवारिक पेंशन, पासपोर्ट आवेदन, बैंक खाता खोलने, नाम बदलवाने और बच्चों की कस्टडी जैसे मामलों में भी यह दस्तावेज़ कानूनी रूप से महत्त्वपूर्ण होता है।
- यह दंपति को एक-दूसरे के प्रति कानूनी जिम्मेदारियों और अधिकारों की पुष्टि देता है, जो किसी वैवाहिक विवाद में वैध प्रमाण बनता है।