
आज के समय कई देशों के बीच का मनमुटाव दुनिया के अन्य देशों की इकॉनमी पर प्रभाव डाल रहा है। फिर चाहे बात रूस या यूक्रेन युद्ध की हो या इजरायल या फिलिस्तीन में युद्ध लोगों में जियो-पॉलिटिक्स को लेकर अब जागरकता के साथ दिलचस्पी बढ़ने लगी है। खासतौर पर जब बात किसी देश के नक़्शे में अचानक पडोसी राज्यों के हिस्से देखने को मिले तब उस देश के भावनात्मक और संस्कृति के ताने-बाने का प्रश्न बन जाता है।
इन दिनों सोशल मीडिया पर भी ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ और ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का कॉन्सेप्ट देखने को मिल रहा है, यह अवधारणाएं ऐसे विचार हैं, जिनके तहत इन देशों के समर्थकों ने भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों पर क्षेत्रीय दावे किए हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं ये दोनों धारणाएं आखिर क्या है और इसका अन्य देशों पर क्या प्रभाव देखने को मिल सकता है।
क्या है ग्रेटर अफगानिस्तान?
ग्रेटर अफगानिस्तान एक अलगाववादी और राष्ट्रवादी विचार है, जिसका उद्देश्य पश्तून लोगों के लिए एक संयुक्त मातृभूमि बनाना है। जो आज के डूरंड रेखा के दोनों और फैला हुआ है। इस विचार के तहत यह माना जाता है की अफगानिस्तान को केवल अपने वर्तमान सीमाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन पश्तून बहुल इलाकों को भी अपनी सांस्कृतिक और राजनितिक प्रभुसत्ता में लेना चाहिए जो आज पकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा और आसपास के हिस्सों में हैं।
हाल में तालिबान ने डूरंड रेखा को खारिज करते हुए एक नक्शा जारी किया है जिसमें पाक्सितान के कुछ हिस्से शामिल दिखाए गए हैं, जिसका कही न कही सीधा असर भारत-पाकिस्तान-अफगानिस्तान त्रिकोणीय सन्दर्भ में रणनीति पर होगा।
क्या है ग्रेटर बांग्लादेश?
ग्रेटर अफगानिस्तान की तरह ही ग्रेटर बंगलदेश भी एक ऐसा विचार है, जिसे ढाका स्थित इस्लामी संगठन सल्तनत-ए-बांग्ला द्वारा प्रचारित किया है। जिसमें बांगलदेश का विस्तार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे ओडिसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित म्यांमार के आराकान राज्य तक शामिल किया गया है। यह मुद्दा तब सामने आया जब ढाका विश्वविद्यालय में एक प्रदर्शनी में भारत के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश के रूप में दिखाने वाला नक्शा प्रदर्शित किया गया। बांग्लादेश ने इसे केवल एक ऐतिहासिक प्रदर्शनी और बंगाल सल्तनत के संदर्भ में बताया है।
अक्टूबर में बांगलादेश के अंतरिम प्रमुख महोम्मद युनूस में पाकिस्तान जनरल को एक नक्शा भेट किया जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बंगलदेश का हिस्सा दिखाया गया था, जिसमें कोई भू-दावा शामिल नहीं था। जिसके चलते विवाद उत्पन्न हो गया और भविष्य में भी यह संवेदनशील बना रह सकता है।
इस अवधारणा का प्रभाव क्या होगा?
‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ और ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का कॉन्सेप्ट भारत-पाकिस्तान दोनों ही देशों के क्षेत्रीय स्थरिता पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अभी यह केवल एक विचार है लेकिन यदि भविष्य में यह व्यवहारिक बनते हैं तो भारत-पाकिसातन-बांग्लादेश त्रिकोण में सीमावर्ती राज्यों की सीमाओं को चुनौती देते हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए गंभीर ख़तरा पैदा हो सकता है।








