
यह विषय आम भारतीय परिवारों के बीच लगातार चर्चा में रहता है और नए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने पैतृक संपत्ति (ancestral property) को लेकर बहुत सी गलतफहमियां दूर कर दी हैं। अब, अगर आपके पास पैतृक जमीन-जायदाद है या ऐसी प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो नए कानून और कोर्ट के नियम जानना बेहद जरूरी है, ताकि कोई लीगल पेंच या विवाद न हो।
पैतृक संपत्ति की बिक्री अब आसान नहीं
हाल के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अब पैतृक संपत्ति को बेचना या ट्रांसफर करना लगभग पूरी तरह से सह-वारिसों की Mutual समझौते और प्रक्रियाओं पर निर्भर करेगा। आइए सरल भाषा में जानते हैं कि आपको किन Legal Points का ध्यान रखना चाहिए, ताकि भविष्य में प्रॉपर्टी को लेकर कोई झगड़ा न हो।
अविभाजित संपत्ति के लिए सभी की सहमति जरूरी
अगर पैतृक संपत्ति अभी तक बांटी नहीं गई है, तो कोई भी एक सह-वारिस पूरी प्रॉपर्टी अपने मन से नहीं बेच सकता। सभी सह-वारिसों की सहमति अनिवार्य है, क्योंकि संपत्ति पर सभी का बराबर हक है। अगर किसी एक को अपना हिस्सा बेचना है, तो उसके लिए पहले औपचारिक रूप से संपत्ति का विभाजन करवाना चाहिए।
विभाजित संपत्ति पर वारिस का पूर्ण अधिकार
अगर कोर्ट या आपसी सहमति से प्रॉपर्टी का Partition हो चुका है, तो जो हिस्सा किसी वारिस को मिला है, वो Self-acquired property मानी जाएगी। वह व्यक्ति अपने हिस्से को बिना किसी की अनुमति के बेच, Gift, या Will कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के Angadi Chandranna vs Shankar & Ors. (अप्रैल 2025) केस में यही व्यवस्था स्पष्ट की गई है।
बेटियों के बराबर अधिकार – बड़ा बदलाव
सुप्रीम कोर्ट के Vinita Sharma Vs Rakesh Sharma (2020) फैसले ने बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर हिस्सा दिया। Hindu Succession (Amendment) Act 2005 के अनुसार बेटियाँ जन्म से ही Co-parcener हैं और उन्हें समान हक प्राप्त है।
विरासत पर दावा करने की समय सीमा
Limitation Act, 1963 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपनी पैतृक संपत्ति पर 12 साल तक दावा नहीं करता या कब्जा नहीं रखता, तो उसका अधिकार कमजोर हो जाता है। इसलिए समय पर दावा करना बेहद जरूरी है।
माता-पिता के पास बेदखली का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अगर संतान अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करती, तो माता-पिता उन्हें संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। यह फैसला Senior Citizens Welfare Act के तहत माता-पिता की सुरक्षा के लिए किया गया है।
आदिवासी महिलाओं के अधिकारों पर फैसला
जुलाई 2025 में आए एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाएं भी अपनी पैतृक संपत्ति में बराबर हिस्सा पाने की हकदार हैं। यह फैसला सामाजिक समानता की दिशा में अहम कदम है।
केवल बिक्री समझौता से स्वामित्व नहीं मिलता
17 अक्टूबर 2025 के फैसले में कोर्ट ने दोहराया कि सिर्फ Agreement to Sell करने से Ownership Transfer नहीं होता। जब तक रजिस्ट्री (Sale Deed) नहीं होती, तब तक असली मालिक संपत्ति का अधिकार रखता है।
सावधानी और कानूनी सलाह है सबसे जरूरी
इन सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए पैतृक संपत्ति से जुड़ा कोई भी निर्णय करने से पहले परिवार के सभी सदस्यों से चर्चा करें, दस्तावेजों की जाँच करें और जरूरत पड़े तो Legal Expert से राय लें। सही समझ और Mutual Trust के साथ किए गए निर्णय परिवार की समृद्धि और शांति दोनों बनाए रखते हैं।