क्या आपने अपना घर/प्रॉपर्टी किसी किरायेदार को दी है अथवा देने की सोच रहें हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत आवश्यक है। भारतीय कानून के तहत, किसी किरायेदार को मकान का मालिकाना हक मिल सकता है अगर वह एक निश्चित समय तक आपकी प्रॉपर्टी में रहता है। और ऐसा तब होगा जब आप कुछ नियमों का पालन सही से नहीं करते हैं और किरायेदार आपकी प्रोपेर्टी का मालिक बनने का दावा कर सकता है। आइए इस पूरी जानकारी को विस्तार से समझते हैं।

विपरीत कब्जा (Adverse Possession) क्या होता है?
विपरीत कब्जा (Adverse Possession) कानून के तहत किरायेदार मकान का मालिक बन सकता है। जी हाँ, यह एक भारतीय कानून है। अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति अथवा घर में लम्बे समय से रह रहा है और कब्ज़ा करने की कोशिश करता है लेकिन मकान मालिक उसे हटाता नहीं है और ना ही उसके खिलाफ कोई क़ानूनी कार्यवाई करता है, तो वह व्यक्ति संपत्ति के मालिक बनने का हक जता सकता है। इसके लिए समय समय 12 साल निर्धारित की गई है। लेकिन कई राज्यों में इसके लिए 30 साल की समय सीमा होती है। इतने लम्बे समय तक रहने पर किरायेदार आपकी सम्पति को हड़प सकता है।
अपनी संपत्ति को सुरक्षित कैसे रखें?
अगर आप अपनी सम्पत्ति को इस नियम से सुरक्षित रखना चाहते हैं तो नीचे दिए गए तरीकों को फॉलो करें।
- लिखित रेंट एग्रीमेंट- मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक लिखित किरायेदारी अनुबंध (Rent Agreement) को बनाए रखना बेहद जरुरी है। इस एग्रीमेंट में किराये का समय, राशि और अन्य शर्ते साफ साफ लिखित रहती है।
- टाइम पर रिन्यू- आपको समय समय पर रेंट एग्रीमेंट को नवीनीकृत करते रहना है, आप 11 अथवा 12 महीने में यह काम कर सकते हैं।
- क़ानूनी कार्यवाई- अगर किरायेदार आपको किसी न किसी बात के कर रहे है अथवा आपकी जमीन को हड़पने का प्रयास करते हैं तो आपको तुरंत ही उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाई करनी चाहिए।
क़ानूनी सलाह जरूर लें!
मकान मालिक और किराएदार के अधिकारों को बताने के लिए कई राज्यों में रेंट कंट्रोल एक्ट को लागू किया गया है। इससे इन दोनों के अधिकार सही रूप से पता चलते हैं। अगर सम्पत्ति से जुड़ा या सम्बंधित कोई विवाद हो जाता है तो आप इसे कानून के जरिए सुलझा सकते हैं। इस मामले में कोर्ट आपकी सहायता करेगा। आपको हमेशा ध्यान रखना है कि क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन सही तरीके से होता रहे और आपको प्रॉपर्टी भी सुरक्षित रहे।