
यह कहानी भागलपुर के नन्दीकेश की है, जो अपनी मेहनत से सफल बनकर चमके हैं। कभी वह सिर्फ ₹15,000 की गार्ड की नौकरी करते थे, लेकिन अब जल्द ही उनकी कंपनी का टर्नओवर ₹1 करोड़ होने वाला है। भागलपुर के तेलघि गाँव के रहने वाले नन्दीकेश उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जल्द हार मान लेते हैं। नन्दीकेश सिर्फ 8वीं पास हैं और उन्होंने बताया कि घर की खराब हालत के चलते उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि उनके मजदूर पिता के लिए परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। लाखों का टर्नओवर होने के बाद भी, आज भी उनका रहन-सहन बेहद सादा है।
मुंबई से लौटकर बिहार में शुरू की अपनी बैग फैक्ट्री
नंदीकेश ने 12वीं तक की पढ़ाई के बाद कमाने के लिए मुंबई का रुख किया, जहाँ उन्हें एक बैग फैक्ट्री में गार्ड की नौकरी मिली और वह ₹15,000 वेतन पाते थे। खर्च के बाद वे कुछ पैसे बचाते थे, पर मन में हमेशा बिहार लौटकर कुछ करने की इच्छा थी।
लॉकडाउन के दौरान जब वह श्रमिक ट्रेन से वापस बिहार लौटे, तो उन्होंने देखा कि मुंबई में बैग बनाने वाले मज़दूर भी बिहारी हैं, और वही बैग वापस बिहार में बेचे जाते हैं। इससे उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने तय किया कि बैग यहीं बिहार में ही बनाए जाएँगे। फिर क्या था, उन्होंने दोस्तों से पैसे लिए, सरकारी लोन लिया और यहाँ तक कि अपना खेत गिरवी रखकर अपनी बैग फैक्ट्री शुरू की। आज उनकी फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर 80 लाख रुपये है।
फैक्ट्री बंद होने की कगार पर थी, अब मिली नई पहचान
फैक्ट्री के मालिक नन्दीकेश ने बताया कि एक समय ऐसा आया था जब फैक्ट्री बंद करने की नौबत आ गई थी। मजदूरों को मजदूरी देना भी मुश्किल हो गया था, क्योंकि सरकार ने बाहर से मंगाए गए सस्ते ‘बैग’ (शायद जूट/कपड़े के बैग) देना शुरू कर दिया था। इससे उनके काम पर बुरा असर पड़ा था। लेकिन, अब उन्हें नए ऑर्डर मिलने लगे हैं, जिससे उनकी फैक्ट्री ने अच्छी ग्रोथ हासिल की है। नन्दीकेश का कहना है कि अब वे धीरे-धीरे फैक्ट्री को और बड़ा करने की योजना बना रहे हैं।









