
भारत में आए दिन वसीयत को लेकर कई मामले सामने आते हैं, वसीयत से जुड़े नियमों को ध्यान में रखते हुए ही ऐसे मामलों का निपटारा किया जाता है। हाल ही में भारत में वसीयत लिखने को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसमें बताया गया है की वसीयत लिखने के नियम में कुछ बदलाव किए गए हैं। ऐसे में क्या है Property Will (वसीयत) New Law और इससे क्या नया बदलाव देखने को मिलेगा चलिए जानते हैं इसकी पूरी जानकारी।
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वसीयत लिखने के नियम में क्या हुआ बदलाव
बता दें, भारत में वसीयत लिखने के नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 अब भी लागू है, जिसके तहत आप अपनी स्व-अर्जित संपत्ति किसी भी व्यक्ति या संस्था को अपनी वसीयत दे सकता है। हालांकि पैतृक संपत्ति के मामले में सह-वारिसों का जन्म से अधिकार माना जाता है, इसलिए आप इसे अपनी मर्जी से पूरी तरह किसी एक के नाम नहीं कर सकते।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ़ किया है की वसीयत के सही निष्पादन और गवाहनों की मौजूदगी बेहद ही जरुरी है, जिससे भविष्य में वसीयत को लेकर कोई वाद-विवाद पैदा न हो। वहीं वसीयत को लेकर संदेह के मामले में वसीयत प्रस्तुत करने को लेकर अतिरिक्त प्रमाण देना पड़ सकता है।
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कैसे बनाए वसीयत को कानूनी रूप से वैध?
बता दें, अपनी वसीयत को कनूनी रूप से वैध बनाने के लिए जरुरी नियमों के मुताबिक वसीयतकर्ता जो आयु न्यूनतम 18 साल होनी आवश्यक है। इसके अलावा वह मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। वसीयत पूरी तरह से स्वतंत्र इच्छा से लिखी गई हो, इसमें लिखित और हस्ताक्षरित होने के साथ-साथ कम से कम दो गवाह भी मौजूद होने चाहिए।
वहीं पंजीकरण की बात करें तो भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपनी वसीयत का पंजीकरण जरुरी नहीं है। लेकिन विवाद से बचाव और प्रमाणिकता के लिए पंजीकरण एक बेहद ही सुरक्षित और आधिकारिक तरिका माना जाता है।
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