देश में अक्सर हर दिन संपत्ति से जुड़े कोई न कोई मामले आते रहते हैं। प्रॉपर्टी एक ऐसी चीज है जिसके लिए भाई भाई एक दूसरे से झगड़े कर बैठते हैं और कोई किसी को कुछ नहीं समझता है। यह झगडे जमीन मालिकाना हक के लिए, पारिवारिक बंटवारे अथवा अवैध कब्जे जैसे मामलों में हो सकते हैं। अगर आप भी जमीन विवाद में फसे हुए हैं तो आपको अपने क़ानूनी अधिकारी की जानकारी होनी बहुत जरुरी है जिससे आप कानून का रास्ता चुनकर मामले को सुलझा सकते हैं। आइए पोर्पेर्टी विवादों के कानून और अधिकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

विवाद होने के क्या कारण हो सकते हैं?
विवाद केवल एक ही वजह से नहीं होता है बल्कि इसके कई कारण हो सकते हैं।
- कई बार जमीन अथवा मकान के असली मालिक में लड़ाई-झगड़ा हो जाता है।
- परिवार में पोर्पेर्टी के बंटवारे अथवा वसीयत के लिए सबकी सहमति एक जैसी नहीं होनी।
- जमीन के नक्शे को लेकर कई बार पड़ोसियों के साथ बड़ा विवाद हो जाता है।
- किसी की संपत्ति पर जबरदस्ती कब्जा करना।
- मकान मालिक और किरायेदार के बीच बड़ा झगड़ा हो जाता है।
- कई लोग धोखाधड़ी अथवा हेरफेर करके संपत्ति को हड़प लेते हैं।
लागू होने वाले मुख्य कानून क्या हैं?
- संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882- यह कानून प्रॉपर्टी को खरीदने-बेचने अथवा गिरवी जैसे लेनदेन को नियंत्रण करने के लिए बनाया गया है।
- उत्तराधिकार कानून (जैसे हिन्दू उत्तराधिकार कानून, 1956)- इस कानून का उपयोग विराट और परिवार में पोर्पेर्टी के बंटवारे के लिए किया जाता है। यह नियम तय करता है कि सबको सामान अधिकार प्राप्त हो सके।
- पंजीकरण अधिनियम, 1908- इस कानून के तहत पोर्पेर्टी के दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाता है।
- विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963- अगर आपकी सम्पति पर कोई कब्जा कर लेता है तो आप इस कानून का इस्तेमाल करके अपनी संपति वापस प्राप्त कर सकते हैं।
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आपके क़ानूनी अधिकार क्या हैं?
अगर आप अपना मालिकाना हक प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए आप सेल डीड अथवा पंजीकरण प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज से मालिकाना हक जता सकते हैं। यह दस्तावेज आपके हक का प्रमाण होते हैं। अगर आपकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है तो आप सिविल कोर्ट में जा सकते है और कब्जा हटाने की मांग कर सकते हैं। अगर मालिकों को अपना अपना बंटवारा चाहिए तो कोर्ट में जाकर हिस्सेदारी तय करने के लिए बंटवारे का आदेश ले सकते हैं।
कहाँ और कैसे कर सकते हैं केस दर्ज?
अगर आप सम्पति विवाद में फसे हैं तो इसके लिए केस सिविल कोर्ट में दायर किए जाते हैं। इस प्रक्रिया के तहत क़ानूनी नोटिस, मुद्दामा दायर करना और वकील से सलाह ली जाती है। अगर आप मुकदमेबाजी से बचना चाहते हैं तो मध्यस्थता का विकल्प चुन सकते हैं।