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क्या 12 साल रह लेने से मिल जाता है घर का मालिकाना हक़? कोर्ट के 3 बड़े फैसलों से समझें

किसी भी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए क़ानूनी दस्तावेज होने जरुरी है, यह केवल कब्जे से प्राप्त नहीं होता है। आइए सुप्रीम कोर्ट के तीन फसलओं के बारे में विस्तार से समझते हैं।

By Manju Negi

समाज में कई बात लोगों से सुनने को मिलता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर 12 साल तक रहता है तो वह जमीन उसके नाम हो जाती है। लेकिन बता दें यह एक गलत सोच है और क़ानूनी नियम प्रतिकूल कब्ज़ा (Adverse Possession) को गलत ठहराती है। हाल ही में इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कहा है कि बिना एग्रीमेंट किसी जगह पर लम्बे समय से रहने से मालिकाना हक नहीं मिलता है। आइए इस लेख में जानेंगे कि प्रतिकूल कब्ज़ा क्या होता है और किरायेदारों के लिए इसके क्या नियम बने हुए हैं।

क्या 12 साल रह लेने से मिल जाता है घर का मालिकाना हक़? कोर्ट के 3 बड़े फैसलों से समझें

प्रतिकूल कब्ज़ा (Adverse Possession) क्या है?

प्रतिकूल कब्जा का नियम Limitation Act 1963 की धारा 65 के तहत आता है। अगर कोई किसी जमीन अथवा प्रॉपर्टी पर गैरकानूनी तरीके से और करीबन 12 साल तक कब्ज़ा कर के रहा है, इसके बावजूद भी जमीन का असली मालिक उसके खिलाफ कोई भी कार्यवाई नहीं करता है, तो कब्ज़ा करने वाला उस जमीन का मालिक बन सकता है।

लागू होने की मुख्य शर्ते क्या हैं?

  • व्यक्ति द्वारा कब्जा बिना इजाजत के किए गया हो। इसमें मालिक की कोई भी परमिशन नहीं हो।
  • मालिक को जानकारी है कि उसके रहते ही कोई व्यक्ति सम्पति पर कब्ज़ा कर रहा है, और वह कुछ भी नहीं करता है।
  • व्यक्ति द्वारा लगातार 12 साल तक एक जगह पर कब्ज़ा किया गया हो।

किराएदार क्या मालिक बन सकता है?

जी नहीं, किराएदार प्रतिकूल कब्ज़ा का दावा नहीं कर पाएगा। जब कोई मालिक परमिशन देता है इसके बाद ही उसकी संपत्ति पर किराएदार रहता है, भले ही इसके लिए कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर व्यक्ति मालिक की अनुमति के बगैर किसी स्थान पर रहने लगता है तो वह कभी भी उस जगह का मालिक नहीं बन पाएगा। हालाँकि वह व्यक्ति कई सालों से क्यों न रह रहा हो। वो किराएदार है और किराएदार ही बने रहेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले में विद्या देवी बनाम प्रेम प्रकाश (1995), बलवंत सिंह दौलत सिंह (1997) और हेमाजी वाघाजी बनाम भीखाभाई (2008) के मामलों की गलतफमियों को दूर किया गया है। आइए कोर्ट के तीन फैसले जानते हैं।

  • यदि आप किसी सह-मालिक का हक खत्म करना चाहते हैं तो आपको साबित करना है कि आपने उसे पूर्ण रूप से बेदखल कर दिया है।
  • लेकिन यदि संपत्ति एक व्यक्ति की न होकर कई लोगो की है, यानी की साझा संपत्ति है, और कोई एक व्यक्ति उस स्थान पर अकेला रहता है तो वह दूसरे मालिकों का हक नहीं कर पाएगा।
  • बिना किसी एग्रीमेंट के अथवा केवल किराए के घर पर रहने से व्यक्ति वहां का मालिक नहीं बन पाएगा।
Author
Manju Negi
अमर उजाला में इंटर्नशिप करने के बाद मंजु GyanOk में न्यूज टीम को लीड कर रही है. मूल रूप से उत्तराखंड से हैं और GyanOk नेशनल और राज्यों से संबंधित न्यूज को बारीकी से पाठकों तक अपनी टीम के माध्यम से पहुंचा रही हैं.

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