
हम अक्सर रोजमर्रा की जिंदगी में दुकानदारों से सामान खरीदते हैं कभी पानी की बोतल, कभी चिप्स या फिर कोई पेय पदार्थ। इन सभी चीजों पर एक तय कीमत लिखी होती है जिसे “MRP (Maximum Retail Price)” कहा जाता है। MRP का मतलब है वह अधिकतम कीमत जिस पर कोई वस्तु ग्राहक को बेची जा सकती है। दुकानदार चाहे तो इससे कम दाम पर बेच सकता है, लेकिन MRP से एक रुपये भी ज्यादा वसूलना पूरी तरह गैरकानूनी है।
छोटी लगने वाली बात, लेकिन बड़ा उल्लंघन
अक्सर लोग फिल्मों या मॉल में जाकर पानी की बोतल, स्नैक्स या कोल्ड ड्रिंक के लिए तय कीमत से ज्यादा भुगतान कर देते हैं। कई बार यह अंतर ₹5 या ₹10 का होता है, लेकिन यह छोटी रकम भी आपके अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी उत्पाद को MRP से ऊपर दाम पर बेचना कानूनी अपराध है।
यह मान लेना कि “छोड़ो, कुछ रुपये का ही तो फर्क है” गलत सोच है। अगर हर ग्राहक इस बात को नजरअंदाज करेगा, तो दुकानदारों द्वारा ओवरचार्जिंग का चलन कभी खत्म नहीं होगा।
सबसे पहले मांगें बिल, क्योंकि यही आपका सबूत है
अगर कभी आपको लगे कि दुकानदार MRP से ज्यादा पैसे मांग रहा है, तो सबसे पहले उससे बिल मांगें। बिल में उत्पाद का नाम, मात्रा और वसूली गई कीमत दर्ज होती है। यही बिल आपकी शिकायत का सबसे बड़ा आधार होता है। बिना बिल के शिकायत दर्ज कराना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि तब विभाग के पास आपके दावे का प्रमाण नहीं रहेगा। इसलिए हर खरीद का बिल जरूर लें चाहे वह ₹10 का ही सामान क्यों न हो।
कैसे करें शिकायत? जानिए आसान तरीका
अगर कोई दुकानदार या कंपनी MRP से अधिक दाम वसूल रही है, तो आप तत्काल शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) का नंबर 1915 जारी किया है।
इस हेल्पलाइन पर फोन करके आप विस्तार से बता सकते हैं कहां और किसने आपसे अधिक राशि वसूली, कितना अंतर लिया गया और आपने कब खरीदारी की। शिकायत दर्ज होते ही अधिकारी इसकी जांच करते हैं। दोषी पाए जाने पर दुकानदार पर जुर्माना लग सकता है या उसका व्यापारिक लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
मोबाइल ऐप से करें डिजिटल शिकायत
टेक्नोलॉजी के इस दौर में शिकायत करना और भी आसान बना दिया गया है। आप Consumer Helpline मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। इस ऐप पर प्रोडक्ट की फोटो, दुकानदार का नाम, बिल और लोकेशन अपलोड करने का विकल्प होता है। शिकायत दर्ज करते ही आपको एक ट्रैकिंग आईडी मिलती है, जिससे आप अपने केस की स्थिति कभी भी देख सकते हैं। इस सुविधा से ग्राहकों को न सिर्फ सशक्त बनाया गया है, बल्कि शिकायत प्रक्रिया को भी पारदर्शी और तेज बनाया गया है।
ऑनलाइन शॉपिंग में भी हैं वही नियम
आज के समय में अधिकतर लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीदारी करते हैं। ऐसे में अगर किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर आपको MRP से ज्यादा दाम पर उत्पाद बेचा जा रहा हो, तो उसके खिलाफ भी शिकायत की जा सकती है।
उपभोक्ता मंत्रालय ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी ऑनलाइन कंपनी को इस तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी। वेबसाइट पर उपलब्ध “रिपोर्ट” या “हेल्प सेंटर” सेक्शन के जरिए आप गलत प्राइसिंग की जानकारी दे सकते हैं।
क्या है सजा और दंड का प्रावधान?
अगर कोई दुकानदार या कंपनी MRP के नियमों का उल्लंघन करती पाई जाती है, तो उसके ऊपर जुर्माना लगाया जाता है। लगातार शिकायतें आने पर उसका लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है। इसके अलावा उपभोक्ता कोर्ट में मामला दर्ज कर ग्राहक मुआवजे की मांग भी कर सकता है। इसलिए अगली बार अगर कोई आपसे तय कीमत से ज्यादा पैसों की मांग करे, तो चुप न रहें। आपका विरोध सिर्फ आपकी जेब की सुरक्षा नहीं करेगा, बल्कि बाकी लोगों के लिए भी उदाहरण बनेगा।
ग्राहक जागरूक होगा तो ठगी खत्म होगी
भारत में उपभोक्ता अधिकार केवल किताबों में नहीं, बल्कि उसके रोजमर्रा के अनुभव का हिस्सा होने चाहिए। MRP को लेकर सजग रहना, बिल की मांग करना और जरूरत पड़ने पर शिकायत करना ये सब कदम उस बदलाव की ओर ले जाते हैं जहां दुकानदार और ग्राहक दोनों अपने दायित्व समझें। याद रखें, जागरूक उपभोक्ता ही मजबूत समाज की नींव होता है। इसलिए अगली बार जब कोई छोटी सी राशि के लिए भी नियम तोड़े — चुप न रहें, आवाज उठाएं।









