
भारत में किराये पर घर लेने की प्रक्रिया अब तक अनौपचारिक नियमों और असंगत समझौतों से भरी रहती थी, जिससे अक्सर मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद होते थे। लेकिन अब इसमें एक बड़ा बदलाव आया है। सरकार ने न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025 लागू कर दिया है। इस नए कानून का मुख्य लक्ष्य किराये के समझौतों को आसान और व्यवस्थित बनाना, दोनों पक्षों के बीच के झगड़ों को कम करना और इस बढ़ते हुए किराये के बाज़ार में समान नियम लागू करना है।
रेंट एग्रीमेंट पर अब डिजिटल स्टैंपिंग जरूरी
किराए के समझौतों (रेंट एग्रीमेंट) को लेकर एक नया और महत्वपूर्ण सुधार लागू किया गया है। अब सभी रेंट एग्रीमेंट को, हस्ताक्षर करने की तारीख से दो महीने के अंदर डिजिटल स्टैंप कराना ज़रूरी होगा। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। इस नियम का मुख्य उद्देश्य उन मौखिक या बिना रजिस्टर्ड समझौतों को कम करना है, जिनके कारण अक्सर कानूनी विवाद पैदा होते हैं।
किराए पर सिक्योरिटी डिपॉजिट की सीमा तय
किराए पर मकान लेने वालों (किरायेदारों) के लिए, खासकर बड़े शहरों में, सिक्योरिटी डिपॉजिट हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है। पहले यह डिपॉजिट छह से दस महीने के किराये के बराबर होता था, लेकिन नए नियमों के तहत अब इसकी सीमा तय कर दी गई है। रिहायशी संपत्तियों के लिए, अब सिक्योरिटी डिपॉजिट सिर्फ दो महीने के किराये तक ही सीमित होगा। यह बदलाव किराये पर रहने वालों के लिए बहुत बड़ी राहत है और वैश्विक (ग्लोबल) किरायेदारी के अच्छे मानकों के अनुरूप है।
नए नियमों से किराया बढ़ाना और भुगतान करना हुआ व्यवस्थित
नए नियमों के अनुसार, अब मकान मालिक साल में केवल एक बार ही किराए में बदलाव या वृद्धि कर सकते हैं। किराया बढ़ाने से पहले उन्हें किराएदार को 90 दिन का नोटिस देना ज़रूरी होगा, जिससे किराएदारों को अचानक बढ़ोतरी के झटके से सुरक्षा मिलेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके अलावा, ₹5,000 प्रति माह से अधिक का किराया अब डिजिटल माध्यम (जैसे UPI या बैंक ट्रांसफर) से ही देना होगा। यह नियम दोनों पक्षों को सुरक्षा प्रदान करेगा और भुगतान का एक स्पष्ट डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होगा।
किराया समझौते के लिए एक एकसमान प्रारूप जारी
सरकार ने अब किराया समझौते के लिए एक एकसमान प्रारूप (Uniform Format) जारी किया है। इस नए फॉर्मेट में कोई छिपी हुई शर्तें या अस्पष्ट नियम नहीं होंगे; हर बात स्पष्ट रूप से लिखी होगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी। इसके अलावा, ₹50,000 प्रति माह से अधिक किराए पर TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) लगाया जाएगा। यह नियम ऊंचे किराए वाले प्रीमियम सेगमेंट को मौजूदा टैक्स प्रणाली के तहत लाएगा और भविष्य में कर विभाग के साथ होने वाले विवादों से बचने में मदद करेगा।
किराए पर घर लेना अब होगा ज़्यादा आसान
किराए के नए नियमों के तहत, जमा राशि (डिपॉजिट) की सीमा तय होने, डिजिटल भुगतान अनिवार्य बनने और किराया समझौतों को सरल बनाने से, लाखों लोगों के लिए घर किराए पर लेना अब अधिक सुलभ हो जाएगा। इन बदलावों का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मकान मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवादों में काफी कमी आएगी।









