
आयकर विभाग (Income Tax Department) ने टैक्सपेयर्स को सुविधा देते हुए एक बड़ा बदलाव किया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने बेंगलुरु स्थित कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (CPC) को आयकर अधिनियम की धारा 154 के तहत अब गलती सुधारने के समान अधिकार दे दिए हैं। इस नए नियम से टैक्सपेयर्स को अब तेजी से रिफंड मिल सकेगा और उनके ITR में हुई गलतियों का सुधार भी जल्दी हो पाएगा।
इस नए नियम के तहत, अब सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) को यह अधिकार मिल गया है कि वह Assessing Officer (AO) और CPC के इंटरफ़ेस से पास हुए आदेशों में हुई स्पष्ट या तकनीकी गलतियों को सीधे तौर पर खुद ही सुधार सके।
सुधार योग्य गलतियों की सूची (CBDT)
CBDT के नए नियम के अनुसार, अब आयकर विभाग (CPC) उन कंप्यूटेशनल या अकाउंटिंग गलतियों को सीधे सुधार सकेगा जिनमें ये शामिल हैं: प्रीपेड टैक्स क्रेडिट को ठीक से न दिखाना, राहतों या छूटों को ध्यान में न रखना, आयकर अधिनियम की धारा 244A के तहत ब्याज की गलत गणना होना, और इन सुधारों के बाद धारा 156 के तहत गलत टैक्स डिमांड नोटिस जारी करना।
टैक्सपेयर्स को मिलेगा लाभ
- इस नए नियम से टैक्सपेयर्स को सीधा फायदा यह होगा कि उनकी त्रुटियों (गलतियों) की सुधार प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी। पहले TDS/TCS या एडवांस टैक्स से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी को ठीक करने के लिए Assessing Officer (AO) के स्तर पर मैन्युअल दखल ज़रूरी था, जिससे काम में देरी होती थी। अब CPC (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर) को सीधे सुधार का अधिकार मिल गया है, जिससे यह पूरी प्रक्रिया स्वचालित (Automatic) और बहुत तेज हो जाएगी।
- इस नए प्रावधान से अब Assessing Officer (AO) और CPC के बीच फाइलों को बार-बार ट्रांसफर करने की ज़रूरत और कागजी कार्यवाही बहुत कम हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप, एक सिस्टम-आधारित और सेंट्रलाइज्ड प्रक्रिया लागू होगी। इस केंद्रीकरण से टैक्सपेयर्स को उनके ITR की गलतियों का समाधान बहुत तेज़ी से मिल सकेगा।
- आयकर विभाग के नए नियम के तहत, अब सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) सीधे तौर पर रिफंड की गणना या ब्याज (धारा 244A) से जुड़ी किसी भी गलती को तुरंत ठीक कर सकेगा। इस बदलाव से सभी टैक्सपेयर्स को अब सही और समय पर रिफंड मिलना सुनिश्चित हो जाएगा।
- CPC की यह ऑटोमेटेड और सेंट्रलाइज्ड (स्वचालित और केंद्रीकृत) प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि सभी सुधार डेटा आधारित और पूरी तरह से पारदर्शी हों। इस नई व्यवस्था से टैक्सपेयर्स के प्रीपेड टैक्स और उन्हें मिलने वाली राहतों (Reliefs) का हिसाब-किताब एकदम सही दर्ज रहेगा।
CBDT ने CPC को दिए नए अधिकार
CBDT ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 120(1) और 120(2) के तहत यह बदलाव किया है। इस नए प्रावधान से अब कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (CPC), बेंगलुरु को यह अधिकार मिल गया है कि वह Assessing Officer (AO) द्वारा पास किए गए आदेशों में हुई गलतियों को धारा 154 के तहत सुधार सके, और अगर सुधार के बाद जरूरत हो, तो धारा 156 के तहत टैक्स डिमांड नोटिस भी जारी कर सके।








