
हाल ही में इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया है, इस फैसले का सीधा असर उन लोगों पर पड़ने वाला जो टैक्स से बचने के लिए अपने पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर करवाते हैं। हमारे देश में अधिकतर लोग अपनी जमीन, घर या सोने की चीजें अपनी पत्नी के नाम पर इस सोच के साथ खरीदते हैं जिससे सरकार के अन्य वित्तीय खर्च कम हो जाएंगे और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सकेगी। वहीं महिला के नाम पर खरीदी गई सम्पत्ति पर स्टाम्प ड्यूटी कम होती है।
कई राज्यों में तो इसपर 1 से 2 प्रतिशत की छूट भी मिलती है, हालाँकि इसपर सवाल यह उठता है की अगर पत्नी अपने पैसे से संपत्ति नहीं खरीदती तो क्या उसके नाम पर रजिस्टर जमीन को उसकी निजी सम्पत्ति माना जाएगा? चलिए जानते हैं इसपर इलाहबाद हाईकोर्ट की अहम फैसला।
हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
इस मामले पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए साफ़ किया है की यदि पत्नी के नाम पर संपत्ति उसकी अपनी कमाई से नहीं खरीदी गई है, तो वह संपत्ति तो वह पत्नी की निजी सम्पत्ति नहीं बल्कि पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। जिसपर पत्नी पूर्ण अधिकार की मांग नहीं कर सकती।
कौन होगा कानूनी मालिक?
देश में अधिकतर महिलाएं शादी के बाद आर्थिक रूप से अपने पति की आय पर निर्भर रहती हैं, जिसके चलते महिलाओं के नाम पर जमीन, घर के रेजिस्ट्रेशन पर टैक्स छूट और स्टाम्प ड्यूटी में छूट के लाभ प्रदान करती है। हालाँकि वह संपत्ति की खरीद के लिए अपनी कमाई लगाने वाले पति पर इसका प्रभाव न पड़े इसके लिए धारा 114 के अनुसार, यदि पत्नी यह साबित नहीं कर पाती तो की संपत्ति उसकी आय से खरीदी गई है तो उसके नाम की संपत्ति पति की आय से अर्जित मानी जाएगी।
ऐसे में पत्नी को पति द्वारा अर्जित सम्पत्ति को बेचने, उसकी नीलामी करने या दान करने का कोई अधिकार नहीं होता, पति की मृत्यु के बाद भी पत्नी इनमें से कोई भी कार्य नहीं कर सकती। क्योंकि पत्नी की संपत्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों का अधिकार हो जाता है।
कब मिलता है पत्नी को कानूनी अधिकार?
संपत्ति से जुड़े मामलों में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार यदि पति की किसी कारणवर्ष मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद पत्नी को सम्पत्ति पर बच्चों के सामान अधिकार प्राप्त होता है, वहीँ भारतीय कानून के अनुसार पति के रहते हुए पत्नी का उसकी संपत्ति पर कोई सीधा मालिकाना हक़ नहीं होता है। अगर पति वसीयत नहीं करता तो पत्नी को अपनी संपत्ति में से कुछ हिस्सा मिल सकता है, ऐसी स्थिति में वह संपत्ति न ही किसी को बेचीं और न ही किसी और के नाम की जा सकती है।