
भारत में करोड़ों नागरिकों के पास पोस्ट ऑफिस अकाउंट होते हैं, जो कई सरकारी योजनाओं से जुड़े होते हैं। जब किसी खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तब डाकघर की सेविंग स्कीम्स जैसे बचत खाता, मासिक आय योजना-Monthly Income Scheme (MIS), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र-National Savings Certificate (NSC) और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना-Senior Citizen Savings Scheme (SCSS) में जमा राशि का दावा करना जरूरी हो जाता है। इस प्रक्रिया में नॉमिनी या कानूनी वारिस की भूमिका अहम हो जाती है।
जब नॉमिनी दर्ज हो: प्रक्रिया सरल और तेज
यदि मृतक ने अपने खाते में नॉमिनी रजिस्टर किया है तो दावा प्रक्रिया सरल हो जाती है। ऐसे मामलों में नामांकित व्यक्ति को फॉर्म SBK 2, मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र और पहचान पत्र डाकघर में जमा करना होता है। अगर दावे की राशि ₹5 लाख से कम है, तो पोस्ट ऑफिस बिना किसी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के भुगतान कर देता है। पैसा नकद, चेक या नॉमिनी के पोस्ट ऑफिस अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सकता है।
अगर दावा ₹5 लाख से अधिक का हो, तो भले ही नॉमिनी मौजूद हो, उसे सिविल कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र (Succession Certificate) प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती है और इसमें कानूनी शुल्क व अदालत की कार्यवाही शामिल होती है।
अगर नॉमिनी दर्ज नहीं है तो क्या होगा
जब खाते में कोई नॉमिनी न हो, तो मृतक के कानूनी वारिस (Legal Heirs) को दावा प्रस्तुत करने के लिए विशेष दस्तावेज जमा करने होते हैं।
₹5 लाख तक के दावे में, दावाकर्ता को फॉर्म SBK 2, क्षतिपूर्ति पत्र (Form SBK 3), हलफनामा, अस्वीकरण पत्र (Form SBK 4 और SBK 5), मृत्यु प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, पता प्रमाण और स्थानीय प्राधिकारी द्वारा जारी कानूनी वारिस प्रमाणपत्र जमा करना होगा। अगर सभी वारिस अस्वीकरण पत्र देते हैं, तो कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती है और पोस्ट ऑफिस पोस्टमास्टर की जांच के बाद भुगतान करता है।
यदि दावा ₹5 लाख से अधिक का है, तो वारिस को सिविल कोर्ट से उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त करना जरूरी होता है। यह प्रक्रिया जटिल है और इसमें समय के साथ-साथ कानूनी खर्च भी लगता है।
संयुक्त खाता हो तो क्या करें?
यदि खाता संयुक्त (Joint Account) है, तो जीवित खाताधारक फॉर्म SKB 1 और मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करके खाते को अपने नाम पर ट्रांसफर करवा सकता है। जब तक कोई कानूनी विवाद न हो, तब तक अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती।
सावधानियां
डाकघर में खाता खोलते समय यह जरूरी है कि नॉमिनी (Nominee) की जानकारी सही और अद्यतित हो। यह एक छोटी सी प्रक्रिया भविष्य में बड़े कानूनी झंझटों से बचा सकती है। यदि नॉमिनी न हो या उसका नाम अपडेट न हो, तो परिवार को कोर्ट और कानून की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। यह समझना भी जरूरी है कि नॉमिनी केवल ट्रस्टी होता है; संपत्ति पर अंतिम अधिकार कानूनी वारिस का होता है। विवाद की स्थिति में कानूनी वारिस अदालत में नॉमिनी को चुनौती दे सकते हैं।