
आजकल कागजातों के साथ होने वाली धोखाधड़ी, उनके गलत इस्तेमाल और खो जाने का खतरा काफी बढ़ गया है। फर्जी दस्तावेजों के बढ़ते मामलों को देखते हुए, अपने जरूरी कागजों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संभाल कर रखना सबसे सुरक्षित तरीका बन गया है। यही कारण है कि अब लोग फिजिकल कॉपी के बजाय अपने डॉक्यूमेंट्स को ऑनलाइन सुरक्षित रखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं ताकि वे हर समय सुरक्षित रहें और जरूरत पड़ने पर आसानी से मिल सकें।
डिजिलॉकर एक सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म
डिजिलॉकर एक सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो आपके जरूरी दस्तावेजों को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की सुविधा देता है। हालांकि लोग इस पर पूरी तरह भरोसा करते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल करते समय भी डिजिटल सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। यह ऐप आपके डॉक्यूमेंट्स को कहीं भी और कभी भी एक्सेस करने का एक सुरक्षित जरिया तो है, पर अपनी लॉगिन डिटेल्स और सुरक्षा नियमों के प्रति जागरूक रहना ही आपकी असली सुरक्षा है।
नकली डिजिलॉकर ऐप्स से रहें सावधान
आजकल साइबर ठग लोगों के भरोसे के साथ खेल रहे हैं और गूगल प्ले स्टोर पर ‘डिजिलॉकर’ (DigiLocker) जैसा दिखने वाले कई फर्जी ऐप्स बना लिए हैं। ये ऐप्स दिखने में इतने असली लगते हैं कि यूज़र्स आसानी से धोखा खा जाते हैं। अगर आप गलती से इन नकली ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं, तो आपका निजी डेटा और जानकारी चोरी हो सकती है जिससे आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसी भी सरकारी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रमाणिकता की जाँच ज़रूर करें।
नकली ऐप्स से डेटा चोरी का बड़ा खतरा
आजकल साइबर अपराधी फर्जी ऐप्स के जाल में फंसाकर लोगों के निजी दस्तावेज, बैंकिंग पासवर्ड और पहचान चोरी कर रहे हैं। जैसे ही आप इन धोखाधड़ी वाले ऐप्स में लॉगिन करते हैं, आपकी सारी गोपनीय जानकारी सीधे अपराधियों के पास पहुँच जाती है। खतरे की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी अलर्ट जारी किया है। सुरक्षित रहने के लिए केवल भरोसेमंद ऐप्स का ही उपयोग करें और किसी भी अनजान लिंक से ऐप डाउनलोड न करें।
असली और नकली डिजिलॉकर की पहचान कैसे करें
ज्यादातर लोग असली और नकली डिजिलॉकर (DigiLocker) के बीच इसलिए धोखा खा जाते हैं क्योंकि फर्जी ऐप्स का नाम और दिखने का तरीका बिल्कुल असली जैसा होता है। कई बार हम यह मान लेते हैं कि प्ले स्टोर पर मिलने वाला हर ऐप सुरक्षित है, और बिना जांच-पड़ताल किए उसे डाउनलोड कर लेते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी है कि ऐप इंस्टॉल करने से पहले आप उसके बनाने वाले (Developer) की जानकारी जरूर देखें, ताकि आपकी जरूरी फाइलें और डेटा गलत हाथों में न जाएँ।
नकली डिजिलॉकर ऐप की पहचान और बचाव के तरीके
असली डिजिलॉकर ऐप की पहचान करने के लिए हमेशा डेवलपर का नाम देखें, वहाँ ‘नेशनल ई गवर्नेंस डिवीजन’ (National e-Governance Division) या ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ लिखा होना चाहिए। अगर ऐप की स्पेलिंग गलत है या उसकी डिजाइन खराब है, तो वह फर्जी हो सकता है। यदि आपने गलती से कोई गलत ऐप डाउनलोड कर लिया है, तो उसे तुरंत डिलीट करें और अपने बैंक व ईमेल के पासवर्ड बदल लें। किसी भी तरह के खतरे की स्थिति में तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं ताकि आप सुरक्षित रह सकें।









