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नॉमिनी और कानूनी वारिस में क्या फर्क? एक गलती पड़ सकती है भारी, जानें सही जानकारी

क्या आप जानते हैं कि नॉमिनी (Nominee) और कानूनी वारिस (Legal Heir) एक नहीं होते? इन दोनों के बीच के फर्क को न समझना आपको भारी नुकसान पहुंचा सकता है। संपत्ति पर वास्तविक अधिकार किसका होता है? जानिए, अपनी बचत और संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए सही कानूनी जानकारी।

By Pinki Negi

नॉमिनी और कानूनी वारिस में क्या फर्क? एक गलती पड़ सकती है भारी, जानें सही जानकारी
नॉमिनी और कानूनी वारिस

अक्सर लोग यह मानते हैं कि बैंक खाते, म्यूचुअल फंड या बीमा में नॉमिनी बनाने से वह व्यक्ति उनकी संपत्ति का मालिक (उत्तराधिकारी) बन जाता है, लेकिन यह गलत है। कानूनी तौर पर, नॉमिनी केवल एक ट्रस्टी (संरक्षक) होता है, जिसका काम संपत्ति को सुरक्षित रखना और वास्तविक कानूनी उत्तराधिकारी तक पहुँचाना होता है। किसी व्यक्ति की संपत्ति पर मालिकाना हक (Ownership) केवल उसके उत्तराधिकारी को ही मिलता है, न कि नॉमिनी को।

संपत्ति नॉमिनी को देने के लिए वसीयत क्यों ज़रूरी?

यदि आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपकी सारी संपत्ति और लाभ उसी व्यक्ति को मिले जिसे आपने बैंक अकाउंट या बीमा में नॉमिनी बनाया है, तो वसीयत (Will) बनाना बहुत ज़रूरी है। अक्सर लोग नॉमिनी तो बना देते हैं, लेकिन वसीयत नहीं बनाते। वसीयत न होने पर, आपके जाने के बाद परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद पैदा हो जाता है, जो अक्सर एक लंबी कानूनी लड़ाई का रूप ले लेता है। इसलिए, संपत्ति के स्पष्ट वितरण के लिए वसीयत बनाना महत्वपूर्ण है।

विवादों से बचने के लिए पंजीकृत वसीयत (Will) बनाना ज़रूरी

अपनी संपत्ति को लेकर भविष्य में परिवार के सदस्यों के बीच होने वाले विवादों से बचने और उनके अधिकारों व लाभों को स्पष्ट करने के लिए, आपको एक पंजीकृत वसीयत (Registered Will) ज़रूर बनानी चाहिए। वसीयत के ज़रिए आप अपनी संपत्ति के बंटवारे के लिए शर्तें तय कर सकते हैं, यह तय कर सकते हैं कि किस नॉमिनी को उत्तराधिकार मिलेगा और किस व्यक्ति को आपकी संपत्ति का कितना हिस्सा मिलना चाहिए। इस तरह, वसीयत यह साफ करती है कि आपके जाने के बाद संपत्ति का अधिकार किसे मिलेगा और किसे नहीं।

नॉमिनी और उत्तराधिकारी में अंतर

कानून की नज़र में नॉमिनी (Nominee) और उत्तराधिकारी (Legal Heir) दोनों अलग-अलग व्यक्ति होते हैं, लेकिन लोग अक्सर इनके बीच के अंतर को समझ नहीं पाते, जिससे बाद में परिवार में विवाद होते हैं। नॉमिनी वह व्यक्ति होता है जिसे आप बैंक खाते, बीमा पॉलिसी या शेयर जैसी चीज़ों का केयरटेकर बनाते हैं; इसका मतलब है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद नॉमिनी सिर्फ संपत्ति को संभालता है, लेकिन वह उसका असली मालिक नहीं बनता। वहीं, उत्तराधिकारी (जैसे माता-पिता, पति/पत्नी, बच्चे) वह व्यक्ति होता है जिसे हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के तहत संपत्ति में कानूनन हिस्सा और मालिकाना हक मिलता है।

नॉमिनी केवल संपत्ति का रखवाला, मालिक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि नॉमिनी (Nominee) केवल संपत्ति का रखवाला (Custodian) होता है, मालिक नहीं। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उसकी संपत्ति का असली मालिक केवल उसका कानूनी उत्तराधिकारी या वह व्यक्ति होता है जिसे वसीयत (Will) में अधिकार दिया गया हो। भले ही बीमा कंपनियाँ, बैंक या वित्तीय संस्थान शुरुआत में पैसा नॉमिनी के खाते में ट्रांसफर कर दें, लेकिन उत्तराधिकारी कानूनी रूप से उस पैसे पर अपना दावा पेश कर सकता है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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