
देश में प्रॉपर्टी और ज्वेलरी को लेकर परिवार में अक्सर विवाद होते रहते हैं, खासकर जब सास की मृत्यु के बाद बहू या बेटी के बीच ज्वेलरी के मालिकाना हक की बात आती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि जिस पर सास का भरोसा था, ज्वेलरी उसी को मिलेगी, लेकिन यह धारणा कानूनी नियमों पर आधारित नहीं है। यदि सास ने अपनी वसीयत में किसी का नाम लिखा है, तो ज्वेलरी उसी व्यक्ति को मिलती है। हालांकि, वसीयत न होने पर ज्वेलरी पर किसका अधिकार होगा, यह कानून तय करता है।
वसीयत से तय होता है गहनों का वारिस
यदि सास ने अपनी मृत्यु से पहले वसीयत तैयार की है, तो उनके गहने (ज्वैलरी) उसी व्यक्ति को दिए जाते हैं जिसका नाम उस कानूनी दस्तावेज़ में दर्ज होता है, फिर चाहे वह बहू हो या बेटी। कई बार सास अपनी ज़रूरत या भरोसे के अनुसार गहने अलग-अलग लोगों के बीच बाँट देती हैं। चूंकि वसीयत कानूनी रूप से सबसे मज़बूत दस्तावेज़ होता है, इसलिए परिवार का कोई भी सदस्य इसे आसानी से चुनौती नहीं दे सकता।
वसीयत से संपत्ति विवाद खत्म
कानूनी रूप से मान्य वसीयत (Will) होने पर संपत्ति से जुड़े विवाद लगभग खत्म हो जाते हैं, बशर्ते उसमें धोखाधड़ी का कोई सबूत न हो। वसीयत में जिसका नाम दर्ज होता है, कानूनी तौर पर वही उस संपत्ति का मालिक होता है। उदाहरण के लिए, यदि वसीयत में गहने (Jewelry) बेटी को दिए गए हैं, तो वही उसकी मालिक होगी; और यदि बहू का नाम लिखा है, तो गहनों पर पूरी कानूनी ताकत बहू के पास होगी।
सास की वसीयत के बिना गहनों का बँटवारा
यदि सास बिना कोई वसीयत किए गुजर जाती हैं, तो उनकी ज्वैलरी (गहने) कानूनी तौर पर उनके वारिसों—पति, बेटे, बेटियाँ और माँ—में बराबर बाँटी जाती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस कानूनी सूची में बहू (Daughter-in-law) सीधे शामिल नहीं होती। बहू को गहने तभी मिल सकते हैं जब उसका पति (जो कि वारिस है) अपने हिस्से के गहने उसे दे दे, या फिर परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सहमति से यह फैसला लिया जाए।
संपत्ति में बेटी का बराबर का हक़
कानून के अनुसार, यदि किसी महिला के पति या माता नहीं हैं और केवल बच्चे ही वारिस हैं, तो उनकी ज्वैलरी (संपत्ति) बेटे और बेटियों में बराबर हिस्सों में बाँटी जाएगी। यह एक आम गलत धारणा है कि विवाहित बेटी को कम हिस्सा मिलता है, जबकि वास्तविकता यह है कि संपत्ति पर बेटी का हक़ बेटे जितना ही मजबूत होता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वसीयत न होने पर, ज्वैलरी पर अधिकार सीधे बच्चों का होता है, बहू का नहीं।








