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India’s Mystery Village: अनोखा गांव! किसी भी घर में नहीं जलता चूल्हा, फिर भी सबको भर पेट भोजन

क्या आपने भारत के एक ऐसे अनोखे गाँव के बारे में सुना है जहाँ किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता? यह एक रहस्यमय गाँव है, फिर भी यहाँ रहने वाले हर व्यक्ति को रोज़ाना भरपेट भोजन मिलता है! जानिए कैसे यह गाँव सामुदायिक भावना के बल पर सबको साथ लेकर चलने का एक अद्भुत उदाहरण पेश करता है।

By Pinki Negi

India's Mystery Village: अनोखा गांव! किसी भी घर में नहीं जलता चूल्हा, फिर भी सबको भर पेट भोजन
India’s Mystery Village

भारत के गाँव सदियों से अपनी सादी जीवनशैली और गहरी परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। हालाँकि समय के साथ गाँव में बदलाव आए हैं और सुविधाएँ बढ़ी हैं, लेकिन लोक-परंपराओं की गर्मजोशी आज भी बनी हुई है। इन्हीं परंपराओं के बीच, एक गाँव ऐसा है जिसने अपनी अद्वितीय जीवनशैली के कारण पूरे देश का ध्यान खींचा है। यह एक ऐसा अद्भुत गाँव है जहाँ किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता, फिर भी वहाँ कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोता। आइए, हम इस गाँव की खास बात जानते हैं।

सामूहिक रसोई की अनोखी परंपरा

गुजरात के चांदणकी गाँव की लगभग हज़ार आबादी एक अनोखी परंपरा का पालन करती है जो हैरान कर सकती है। इस गाँव में हर घर में अलग रसोई नहीं होती, बल्कि गाँव के सभी लोगों का भोजन रोज़ाना एक ही जगह पर तैयार किया जाता है—जिसे सामूहिक रसोई कहते हैं। सभी ग्रामीण उसी स्थान पर साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह केवल भोजन करने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह गाँव की गहरी एकता और सामाजिक सौहार्द को दर्शाता है।

गाँव में सामूहिक भोजन की अनोखी परंपरा

गाँव के बुजुर्गों के अनुसार, यह अनूठी परंपरा कई साल पहले तब शुरू हुई जब गाँव के युवा रोज़गार के लिए बड़े शहरों और विदेश चले गए, जिससे गाँव में बुजुर्गों की संख्या बढ़ने लगी। अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए रोज़ाना अलग-अलग घरों में खाना बनाना एक मुश्किल काम बन गया था।

इस समस्या को हल करने के लिए, गाँव वालों ने मिलकर एक साथ खाना बनाने और खाने की सामूहिक व्यवस्था शुरू की। आज भी, लगभग 100 ग्रामीण रोज़ाना मिलकर दाल, सब्ज़ी और रोटी बनाते हैं, ताकि किसी एक व्यक्ति पर खाना बनाने का बोझ न पड़े। यही सामूहिक प्रयास अब गाँव की एक खास पहचान बन चुका है।

चांदणकी गाँव की अनोखी परंपरा

चांदणकी गाँव की यह अनोखी परंपरा अब पूरे देश के पर्यटकों को अपनी ओर खींच रही है। यहाँ आने वाले मेहमानों का गाँव वाले गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और उन्हें भी उसी सामूहिक रसोई में बना हुआ स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। भोजन के साथ ही, पर्यटकों को गाँव की समृद्ध संस्कृति, आपसी एकजुटता और बेहतरीन परंपराओं को करीब से जानने का मौका मिलता है। यही वजह है कि चांदणकी एक तेज़ी से उभरता हुआ पर्यटन स्थल बनता जा रहा है।

वह गाँव जहाँ सब एक परिवार हैं

चांदणकी गाँव के लोगों का कहना है कि यहाँ कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं है। सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देने की पुरानी परंपरा ने पूरे गाँव को एक बड़े परिवार में बदल दिया है। यहाँ के लोग हँसते-खेलते, सरल और सामुदायिक जीवन जीते हैं। उनकी सामूहिक भोजन परंपरा ने बुजुर्गों का जीवन आसान करने के साथ-साथ गाँव में समानता, सहयोग और खुशी का माहौल बनाया है। चांदणकी हमें यह सीख देता है कि गाँव केवल रहने की जगह नहीं है, बल्कि मिलकर खुशहाली से जीवन जीने की कला का नाम है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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