राजस्थान में गहराते जल संकट और तेजी से नीचे गिरते भूजल स्तर से निपटने के लिए सरकार ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब प्रदेश में बिना सरकारी अनुमति के ट्यूबवेल या बोरवेल खोदना गैरकानूनी होगा। नियम का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें जेल भी हो सकती है। विधानसभा में हाल ही में पारित हुए राजस्थान भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण विधेयक, 2024 के बाद ये नया नियम लागू किया गया है।

क्या है नया कानून और क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
राजस्थान, जो पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है, वहां भूजल का अंधाधुंध दोहन एक गंभीर समस्या बन चुका है। बाड़मेर, नागौर और झुंझुनू जैसे जिलों में भूजल का स्तर इतना नीचे चला गया है कि 500 फीट से ज्यादा खुदाई करने पर भी पानी नहीं मिलता। गर्मियों में लोगों को पीने के पानी के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है और किसानों की फसलें सिंचाई के बिना सूख जाती हैं।
इसी समस्या से निपटने के लिए सरकार ये नया कानून लेकर आई है। इसके तहत, एक भूजल प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो पूरे राज्य में भूजल के इस्तेमाल की निगरानी करेगा।
नियम तोड़ा तो क्या होगी सजा?
सरकार ने इस कानून को सख्ती से लागू करने के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया है:
- अनुमति अनिवार्य: अब किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह किसान हो या आम नागरिक, ट्यूबवेल या बोरवेल खोदने से पहले इस प्राधिकरण से इजाजत लेनी होगी।
- पहली बार गलती पर: नियम तोड़ने पर पहली बार ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
- दोबारा गलती करने पर: अगर कोई व्यक्ति दोबारा बिना अनुमति के बोरवेल खोदता पकड़ा गया, तो उसे 6 महीने तक की जेल और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
- डार्क जोन में पूरी पाबंदी: जिन इलाकों को भूजल की कमी के कारण “डार्क जोन” घोषित किया गया है, वहां पानी निकालने पर पूरी तरह से रोक रहेगी।
किसानों और आम लोगों पर क्या होगा असर?
इस कानून का सबसे ज्यादा असर किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा, जिन्हें अब अपने खेतों में सिंचाई के लिए या घरेलू उपयोग के लिए बोरवेल लगाने से पहले एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। सरकार का कहना है कि ये कदम पानी की बर्बादी को रोकने और ये सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए पानी बचा रहे।
हालांकि, विधानसभा में इस बिल पर काफी बहस हुई और विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध भी किया। लेकिन सरकार ने बहुमत के साथ इसे पारित कर दिया, जिससे ये साफ हो गया कि भूजल संरक्षण को लेकर अब कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।