
इस बार पुरे देश में 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जायेगा। क्या आप जानते है कि कई जगहों पर रावण दहन की जगह उसकी पूजा की जाती है। भारत में कुछ ऐसी ख़ास जगहें है, जैसे – मध्य प्रदेश के मंदसौर और विदिशा, उत्तर प्रदेश के कानपुर और बिसरख और कर्नाटक के कोलार। इन जगहों पर रावण को जलाया नहीं जाता है, बल्कि पूजा की जाती है। खास तौर पर मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को दामाद माना जाता है, इसलिए यहाँ रावण की पूजा की जाती है।
मध्यप्रदेश में होती है रावण की पूजा
मध्य प्रदेश के मंदसौर और विदिशा में रावण की पूजा की जाती है। यहां के लोग रावण को अपना दामाद या देवता मानते है। इसलिए यहाँ रावण को मारा नहीं जाता है। कहा जाता है कि मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था, इसलिए यहाँ रावण को दामाद के रूप में सम्मान दिया जाता है।
मंदसौर रावण का ससुराल
कहा जाता है कि मंदसौर का पुराना नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था, जिस वजह से इस शहर का नाम मंदसौर रखा गया। यहाँ का नामदेव समाज रावण को अपना दामाद मानता है। इसी मान्यता के कारण यहाँ के लोग दशहरे पर रावण का पुतला जलाने की बजाय उसकी पूजा करते हैं। मंदसौर में रावण की एक विशाल मूर्ति है, जिसके सामने महिलाएँ सिर झुकाकर उनका सम्मान करती हैं।
महिलाएं सिर ढककर करती है पूजा
मंदसौर के खानपुरा इलाके में रावण की एक विशाल प्रतिमा है जिसे ‘रावण की रुण्डी’ कहा जाता है और यहाँ इसकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ का नामदेव समाज रावण को बुराई का नहीं, बल्कि सम्मान का प्रतीक मानता है। इसलिए जब वहां की महिलाएं रावण की मूर्ति के पास से होकर गुजरती या पूजा करती है तो अपना सिर ढक लेती है। जैसा ही ससुराल में सिर ढकने की परंपरा है।
मूर्ति पर बांधते है धागा या लच्छा
यहाँ रावण की मूर्ति के दाहिने पैर में धागा या लच्छा बांधा जाता है, मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारियां दूर होती है और मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश का एक गांव विदिशा है, जिसे रावणग्राम कहते हैं, यहां रावण की 10 फीट लंबी लेटी हुई प्रतिमा है। दशहरे के दिन यहाँ ख़ास पूजा की जाती है।