भारत में नवरात्रि का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। बता दें माँ दुर्गा की पूजा नौ दिनों तक की जाती है इसके बाद कन्या पूजन किया जाता है। हिन्दू धर्म में कन्या को साक्षात् देवी का रूप माना जाता है इसलिए उनका पूजन अष्टमी और नवमी तिथि को किया जाएगा। तो चलिए जानते हैं कन्या पूजन कैसे किया जाता है, इसके लिए क्या सामग्री चाहिए होती है और इसका क्या महत्व होता है, इससे जुड़ी पूरी जानकारी आगे लेख में जानते हैं।

कन्या पूजन क्यों किया जाता है?
हिन्दू धर्म में कन्या पूजन बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योंकि देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कन्याओं को साक्षात् देवी मानकर की जाती है। इस दिन कन्याओं को अपने घर बुलाकर, स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है और उन्हें बढ़िया बढ़िया उपहार मिलते हैं। धार्मिक मान्यता के तहत कन्या पूजन से सभी दुःख संकट दूर होते हैं और घर में शांति आती है। देवी दुर्गा के आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कन्या पूजन के महत्व अथवा लाभ क्या हैं?
- प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, अष्ट्मी और नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।
- कन्या देवी का स्वरुप होती हैं, इन्हे पूजने से मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- कन्या पूजन से घर में सुख, शांति और समृद्वि आती है।
- कन्या पूजन से वास्तु दोष और परिवारिक कलह दूर होता है।
- माँ दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और आपके घरों में सुख-समृद्धि आएगी, इसके साथ ही संतान का सुख का आशीर्वाद मिलता है।
कन्या पूजन की विधि
- नवरात्रि पर आपको 2 से 10 वर्ष आयु की नो कन्याओं को आमंत्रित करना है।
- आपको उनका स्वागत पैर धोकर करना है फिर साफ तौलिए से पोंछे और उन्हें साफ चटाई पर बैठाए ।
- फिर आपको उन पर चंदन, कुमकुम, फूल और अक्षत (चावल) से तिलक लगाना है। फिर देवी मां की चुनरी ओढ़ाएं।
- इसके बाद कन्याओं को हलवा, पूरी और चना जैसे सात्विक भोजन खिलाएं।
- भोजन के बाद कन्याओं को उपहार दें, आप वस्त्र अथवा दक्षिणा जैसे उपहार दे सकते हैं।
- आपको उनका आशीर्वाद लेना है और सम्मान के साथ उन्हें विदा करना है।
कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त कौन सा है?
हिन्दू पंचाग के अनुसार कन्या पूजन अष्टमी और नवमी को मनाया जाएगा, आइए इसके शुभ मुहूर्त को जानते हैं।
तिथि | शुभ मुहूर्त | समय |
अष्टमी | प्रातः संध्या | सुबह 5:01 बजे से सुबह 6:13 बजे तक मनाया जाएगा। |
दूसरा शुभ मुहूर्त | सुबह 10:41 बजे से सुबह 12:11 बजे तक मनाया जाएगा। | |
अभिजित मुहूर्त | सुबह 11:47 बजे से सुबह 12:35 बजे तक मनाया जाएगा। | |
महानवमी | ब्रह्मा मुहूर्त | सुबह 4:37 बजे से सुबह 5:26 बजे तक मनाया जाएगा। |
प्रातः संध्या | सुबह 5:01 बजे से सुबह 6:14 बजे तक मनाया जाएगा। |
जरुरी पूजन सामग्री का ध्यान रखें
- कन्या पूजन में कन्याओं को उपहार के रूप में आप वस्त्र या दक्षिणा दे सकते हैं।
- आपको शुद्धिकरण के लिए कन्याओं के पैर साफ़ जल से धोकर साफ़ तौलिए से साफ करने है।
- भोजन में आपको हलवा पूरी, चना जैसे सात्विक व्यंजन को बनाना है।
- कुमकुम, सिंदूर, अक्षत (चावल), महावर अथवा अलता, फूल, माला और लाल चुनरी रखनी है।
- आपको घी का दीपक, धूप/अगरबत्ती और पूजा की थाली तैयार रखनी है।