त्योहारों का मौसम आ चुका है और हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है – दशहरा कब है? बुराई पर अच्छाई की इस शानदार जीत का पर्व हम सभी के लिए खास मायने रखता है। यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सीख है कि अंत में जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने घमंड के प्रतीक रावण का अंत किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार कर धरती को उसके आतंक से मुक्त कराया था।

तो चलिए, जानते हैं कि इस साल दशहरा किस दिन है, पूजा का सही समय क्या है और इस दिन को और भी खास कैसे बनाया जा सकता है।
दशहरा 2025: सही तारीख और शुभ मुहूर्त
इस साल दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर 2025, दिन गुरुवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, त्योहार की तारीख और मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- दशमी तिथि की शुरुआत: 1 अक्टूबर 2025, शाम 7:01 बजे से
- दशमी तिथि की समाप्ति: 2 अक्टूबर 2025, रात 7:10 बजे तक
- पूजा का सबसे शुभ समय: 2 अक्टूबर, दोपहर 2:09 बजे से लेकर 2:56 बजे तक
चूंकि दशमी तिथि 2 अक्टूबर को पूरे दिन रहेगी, इसलिए त्योहार इसी दिन मनाया जाएगा। यह दिन किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए बेहद शुभ (auspicious) माना जाता है।
घर पर कैसे करें आसान पूजा?
दशहरा सिर्फ रावण दहन का ही दिन नहीं है, बल्कि इस दिन घर पर पूजा-पाठ का भी विशेष महत्व होता है। आप इन आसान स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं:
- सुबह नहा-धोकर घर के पूजा स्थल या किसी साफ-सुथरी जगह (खासकर उत्तर-पूर्व कोना) को तैयार करें। गंगाजल छिड़ककर उस जगह को पवित्र करें।
- भगवान राम और हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें और उनकी पूजा करें। इस दिन रामायण का पाठ, सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ होता है।
- इस दिन शस्त्र पूजा का खास महत्व है। आप अपने वाहन (vehicle), लैपटॉप, किताबें, और औजारों की पूजा कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे आपके काम में तरक्की और सुरक्षा मिलती है।
- पूजा के बाद आरती करें, भगवान को भोग लगाएं और फिर उस प्रसाद को पूरे परिवार में बांटें।
दशहरे पर ये काम करना न भूलें
यह दिन सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करने की भी प्रेरणा देता है।
- नई शुरुआत का दिन: अगर आप कोई नया बिजनेस, नई नौकरी या कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं, तो यह दिन सबसे बेस्ट है।
- शमी के पेड़ की पूजा: दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करना और उसकी पत्तियों को एक-दूसरे को देना बहुत शुभ माना जाता है। इसे सोना-चांदी देने के बराबर माना गया है।
- बुरी आदतों को कहें अलविदा: यह दिन अपने अंदर के क्रोध, अहंकार, और आलस्य जैसी नेगेटिविटी को त्यागने और एक बेहतर इंसान बनने का संकल्प लेने का है।
- रावण दहन: शाम के समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन बुराई के अंत का प्रतीक है, जिसे देखने का एक अलग ही उत्साह होता है।