
हर साल अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएँ अपनी संतान की लंबी उम्र, सुरक्षा और तरक्की के लिए व्रत रखती है। माना जाता है कि यह व्रत रखने से बच्चों के जीवन की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। इस साल सोमवार, 13 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को शाम को तारे देखने के बाद ही खोला (पारण किया) जाता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि इस बार अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त और तारे देखने का सही समय क्या है, तो आगे पढ़ें।
13 अक्टूबर को मनाया जायेगा अहोई अष्टमी का व्रत
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण अष्टमी की तिथि 13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर अगले दिन (14 अक्टूबर) सुबह 11 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। इस दिन अहोई माता की पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इस तरह, भक्तों को पूजा-अर्चना के लिए लगभग 1 घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।
अहोई अष्टमी पर कब आएंगे तारे
अहोई अष्टमी के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और तरक्की के लिए पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं। यह व्रत शाम को तारे देखने के बाद खोला जाता है। माताएं तारों को अर्घ्य देकर अपनी संतान की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल अहोई अष्टमी पर शाम 7 बजकर 32 मिनट पर तारे दिखने का समय है।
अहोई अष्टमी पर ऐसे करें पूजा
अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनकर व्रत रखने का संकल्प लें। सबसे पहले पूजा की जगह को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें, फिर दीवार पर कुमकुम से अहोई माता का चित्र बनाएँ। माता के सामने घी का दीपक जलाकर फल, फूल और मिठाई चढ़ाएँ। दोपहर में आस-पड़ोस की महिलाओं के साथ बैठकर अहोई अष्टमी की कथा सुनें। शाम के समय दोबारा माता के सामने दीपक जलाकर हलवा-पूरी का भोग लगाएँ।
इसके बाद हाथ जोड़कर देवी से अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें। फिर एक बर्तन में पानी लेकर, तारे निकलने के बाद तारों को अर्घ्य दें। आखिर में, घर के बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लें और अपनी क्षमता अनुसार किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा देकर व्रत पूरा करें।