अगर आप संपत्ति में हक पाने की सोच रहें हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरुरी होने वाली है। सरकार ने सम्पति के उत्तराधिकार से जुड़े कानूनों में बड़ा बदलाव किया है। सम्पति में पारदर्शिता और लैंगिंक समानता रखने के लिए नया कानून बनाया गया है। अगर कोई बेटा अथवा बेटी अपना हक चाहती हैं तो उन्हें कुछ नई और महत्वपूर्ण शर्तों का पालन करना होगा। आइए जानते हैं नए नियम से क़ानूनी प्रक्रिया में क्या बदलाव आता है।

संपत्ति में हक की 4 प्रमुख शर्ते
1. महिला अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता
नए कानून नियमों के तहत बेटियों को अब समान अधिकार मिलेगा, पैतृक और अर्जित दोनों सम्पतियों कर उनका पूरा हक है। जितनी भी विवाहित बेटियां है उनका अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा, यह अनिवार्य कर दिया गया है।
2. डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य
संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने के लिए डिजिटल प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह सभी का अब ऑनलाइन रूप से किए जाएंगे। अब से सुरक्षा के लिए आधार आधारित सत्यापन किए जाएंगे। इस प्रक्रिया के तहत फर्जी मामलों को रोका जाएगा और प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
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3. बंटवारे के लिए सहमति की शर्ते बदली
अगर अब संपत्ति बंटवारा होता है तो इसके लिए सभी हिस्सेदारों की परमिशन नहीं चाहिए। एक अकेला व्यक्ति दावा कर सकता है। अगर बाकी हिस्सेदार एग्री नहीं करते हैं तो भी आप अपने हिस्से की मांग कर सकते हैं, इसके लिए उत्तराधिकारी को जिला कलेक्टर अथवा तहसीलदार के पास जाना है और अपने हिस्से की मांग करनी है।
4. वारिसों के लिए नियम निर्धारित
घर में बेटा अथवा बेटी का जन्म होते ही उन्हें पैतृक संपत्ति का अधिकार मिल जाता है। इसके लिए आपको अलग से अधिकार हेतु मांग नहीं करनी होती है, जन्म होते ही आप संपत्ति के हकदार हो जाते हैं। अगर घर के मालिक की मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई वसीयत नहीं है। फिर कानून के आधार पर सभी वारिसों को सम्पति का बराबर हिस्सा मिलता है।