
किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए सरकार अब नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत मुर्गी पालन को एक नए और मुनाफे वाले बिजनेस के रूप में बढ़ावा दे रही है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में देसी नस्ल की मुर्गियों को पालने पर जोर दिया जा रहा है। खास बात यह है कि किसानों को पूरी मुर्गी बेचने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे उनसे तैयार चूजों को बेचकर ही जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकार 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी (आर्थिक मदद) भी दे रही है, जिससे लागत आधी हो जाती है और किसानों के लिए आत्मनिर्भर बनने का रास्ता साफ हो जाता है।
मुर्गी पालन के लिए पाएं 50 लाख का प्रोजेक्ट
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के अनुसार, किसान 1000 देसी मुर्गियों और 50 मुर्गों के साथ अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं। इस बड़े सेटअप के लिए कुल 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसमें चूजों की संख्या बढ़ाने के लिए आधुनिक हैचरी मशीन लगाना जरूरी है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास खुद की एक एकड़ जमीन या 10 साल की लीज वाली जमीन होनी चाहिए। साथ ही, किसान के पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मुर्गी पालन का ट्रेनिंग सर्टिफिकेट होना भी अनिवार्य है। बिना जमीन और प्रशिक्षण के इस सरकारी स्कीम में आवेदन नहीं किया जा सकेगा।
मुर्गी पालन सब्सिडी के नियम
इस सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहली शर्त यह है कि किसान की जमीन पूरी तरह विवाद मुक्त होनी चाहिए। अगर जमीन पर पहले से कोई कर्ज या KCC (किसान क्रेडिट कार्ड) बकाया है, तो आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। वित्तीय ढांचे की बात करें तो 50 लाख के इस प्रोजेक्ट में किसान को खुद के 5 लाख रुपये लगाने होंगे और 20 लाख का बैंक लोन लेना अनिवार्य होगा। जैसे ही किसान कुल लागत का 25% हिस्सा खर्च कर लेगा, सब्सिडी की पहली किस्त उसके खाते में आ जाएगी और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद बाकी की सब्सिडी राशि भी ट्रांसफर कर दी जाएगी।
ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए रोजगार का सुनहरा मौका
इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसानों को ‘उद्यम मित्रा’ पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद विभाग इसकी जांच करेगा और सही पाए जाने पर इसे बैंक को भेज दिया जाएगा, जहाँ बैंक अपनी शर्तों के आधार पर लोन की मंजूरी देगा। सरकार का मुख्य उद्देश्य इस मॉडल के जरिए ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा करना और लुप्त होती देसी प्रजातियों की मुर्गियों की संख्या को बढ़ाना है। यह योजना न केवल किसानों को मालिक बनाएगी, बल्कि गांवों में व्यापार के नए रास्ते भी खोलेगी।









