भारत के ज्यादातर किसान अपनी पूरी उम्र खेतों में खपाते हैं, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आमदनी कम और खर्चे बढ़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में अगर हर महीने तय पेंशन मिल जाए, तो बुजुर्ग किसान और उनका परिवार बहुत हद तक आर्थिक चिंता से मुक्त हो सकता है। सरकार की किसान पेंशन स्कीम इसी सोच के साथ शुरू की गई है, ताकि खेत में पसीना बहाने वाले लोगों को बुढ़ापे में भी इज्जत के साथ जीवन जीने का सहारा मिल सके।

सालाना ₹36,000 पेंशन की पूरी कहानी
इस सरकारी किसान पेंशन स्कीम के तहत पात्र किसानों को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3,000 रुपये पेंशन मिलती है। अगर पूरे साल की रकम देखें तो यह आंकड़ा 36,000 रुपये हो जाता है, जो बुजुर्ग किसान के लिए एक रेगुलर इनकम की तरह काम करता है। खेती में हाथ कम चलने लगने के बाद यही पेंशन दवाई, राशन, बिजली-पानी और छोटे-मोटे घरेलू खर्च उठाने में मजबूत सहारा बन सकती है।
कौन से किसान ले सकते हैं फायदा?
यह योजना खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए बनाई गई है, जिनके पास सीमित जमीन और सीमित आमदनी होती है। आमतौर पर ऐसे किसानों को टारगेट किया जाता है जो कृषि पर ही निर्भर हैं और जिनके पास 2 हेक्टेयर तक खेती योग्य जमीन दर्ज होती है। साथ ही, योजना में जुड़ने वाले किसान की उम्र एक तय सीमा के अंदर होनी चाहिए, ताकि वह कुछ साल तक छोटा-सा योगदान देकर आगे चलकर पेंशन का बड़ा लाभ ले सके।
थोड़ा-सा योगदान, बड़ा फायदा
किसान पेंशन स्कीम की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसान को अपनी पॉकेट से बहुत ज्यादा पैसा नहीं लगाना पड़ता। उम्र के हिसाब से केवल कुछ दर्जन या सौ रुपये के आसपास की मासिक किस्त जमा करनी होती है। अच्छी बात यह है कि जितनी रकम किसान हर महीने जमा करता है, लगभग उतनी ही राशि सरकार उसकी तरफ से जोड़ती है, यानी यह एक तरह की “जॉइंट तैयारी” बन जाती है। आने वाले समय में यही छोटी-छोटी किस्तें जोड़कर पेंशन का मजबूत फंड तैयार कर देती हैं।
रजिस्ट्रेशन की आसान प्रक्रिया
इस योजना में जुड़ने के लिए किसानों को जटिल कागज-पत्र या लंबी लाइनों से ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता। नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर या नामित सुविधा केंद्र पर जाकर आधार कार्ड, बैंक पासबुक और जमीन से जुड़े बेसिक डॉक्यूमेंट दिखाकर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। वहां मौजूद ऑपरेटर ऑनलाइन फॉर्म भरकर e‑KYC और बाकी प्रोसेस कुछ ही मिनटों में पूरा कर देता है, इसके बाद किसान का नाम पेंशन स्कीम में दर्ज हो जाता है।
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परिवार के लिए भी सुरक्षा कवच
कई बार बुजुर्ग किसान की कमाई पर ही पूरे घर की रोजी-रोटी टिकी होती है, ऐसे में उनके न रहने पर परिवार अचानक आर्थिक संकट में फंस सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए स्कीम में ऐसी व्यवस्था भी की जाती है कि किसान की मृत्यु के बाद उसकी पेंशन का एक हिस्सा जीवनसाथी को मिल सके। इससे कम से कम बेसिक जरूरतों के लिए किसी पर हाथ फैलाने की मजबूरी थोड़ी कम हो जाती है और परिवार को न्यूनतम आर्थिक सुरक्षा बनी रहती है।
अभी आवेदन करना क्यों फायदेमंद है?
किसान जितनी जल्दी इस पेंशन स्कीम में शामिल होता है, उसके लिए मासिक योगदान उतना ही कम रहता है। कम उम्र में शुरू करने पर जेब पर बहुत हल्का बोझ पड़ता है और रिटायरमेंट के समय मिलने वाली पेंशन की रकम वही रहती है। खेती में मौसम, मंडी भाव और लागत के उतार-चढ़ाव हमेशा चलते रहेंगे, लेकिन अगर सालाना 36,000 रुपये की फिक्स पेंशन तय हो जाए, तो बुढ़ापे की सबसे बड़ी टेंशन काफी हद तक कम हो सकती है। इसलिए जो भी पात्र किसान हैं, वे समय रहते आवेदन कर अपने लिए एक भरोसेमंद “पेंशन सुरक्षा कवच” ज़रूर तैयार करें।









