
उत्तराखंड सरकार ने नए साल से एक बड़ी पहल की तैयारी कर ली है। अब दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों को राज्य में प्रवेश करते समय “ग्रीन सेस” देना होगा। इस नई व्यवस्था से एक तरफ जहां प्रदूषण नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य को करोड़ों रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
क्या है ग्रीन सेस योजना?
ग्रीन सेस दरअसल एक पर्यावरण शुल्क है जो बाहर से आने वाली गाड़ियों पर लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण कार्यों के लिए आय जुटाना है। पिछले दो साल से इस योजना को लागू करने की तैयारी चल रही थी, लेकिन अब इसे 1 जनवरी 2025 से पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में सचिवालय में राजस्व समीक्षा बैठक के दौरान नाराजगी जताई कि यह योजना देर से क्यों लागू हो रही है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2024 में यह योजना शुरू करने की घोषणा हो चुकी थी, लेकिन अभी तक इसे लागू न करने से राज्य को लगभग 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
किन वाहनों को कितना देना होगा ग्रीन सेस?
वाहनों की श्रेणी के अनुसार ग्रीन सेस की राशि तय की गई है। यह शुल्क 80 रुपये से लेकर 700 रुपये तक होगा।
- भारी वाहन (एक्सल के हिसाब से): ₹450 से ₹700
- भारी निर्माण उपकरण वाहन: ₹250
- 7.5 से 18.5 टन के वाहन: ₹250
- 3 से 7.5 टन के हल्के माल वाहन: ₹120
- तीन टन तक की डिलीवरी वैन: ₹80
- 12 सीट से अधिक की बसें: ₹140
- मोटर कैब, मैक्सी कैब और निजी कारें: ₹80
एक बार लिया गया सेस पूरे दिन के लिए मान्य रहेगा। वहीं, 20 गुना सेस देकर तीन महीने की और 60 गुना सेस देकर एक साल की छूट भी ली जा सकती है।
फास्टैग से सीधे कटेगा ग्रीन सेस
उत्तराखंड सरकार ने इस प्रक्रिया को तकनीकी रूप से आसान और पारदर्शी बनाने के लिए फास्टैग सिस्टम को शामिल किया है। राज्य की सीमाओं पर बनाए गए बॉर्डर चेक पोस्ट पर NPR (National Permit Registration) कैमरों के जरिए गाड़ियों की पहचान होगी और ग्रीन सेस स्वतः फास्टैग से कट जाएगा।
फिलहाल उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से लगने वाले 10 बॉर्डर चेक पोस्ट तैयार हैं, जबकि 6 अन्य स्थलों पर निर्माण कार्य जारी है। इससे टैक्स कलेक्शन में पारदर्शिता आएगी और राज्य सरकार को हर साल लगभग ₹50 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है।
किन वाहनों को मिलेगी छूट
सरकार ने सामाजिक और आपातकालीन सेवाओं को ध्यान में रखते हुए कई वाहनों को ग्रीन सेस से मुक्त रखा है।
- एंबुलेंस, शव वाहन और फायर ब्रिगेड
- सेना, पुलिस और सरकारी विभागों के वाहन
- ट्रैक्टर, ट्रॉली, रोड रोलर और कंबाइन हार्वेस्टर
- इलेक्ट्रिक, सोलर, हाइब्रिड और CNG से चलने वाले वाहन
इस फैसले से पर्यावरण फ्रेंडली परिवहन को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक मजबूती
ग्रीन सेस से जुटाई जाने वाली राशि को पर्यावरण और विकास परियोजनाओं में खर्च किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक मजबूती के लिए पूंजीगत निवेश बढ़ाया जा रहा है, जिससे सड़क, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे के कामों में तेजी आएगी।
सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए सभी विभागों को कर संग्रह प्रक्रिया को डिजिटल बनाने और कर चोरी रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। खनन सुधारों से राज्य को पहले ही 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो चुकी है।
भविष्य की राह
उत्तराखंड पर्यटन, तीर्थाटन और उद्योगों का केंद्र बन चुका है। यहां रोजाना हजारों वाहन दूसरे राज्यों से आते हैं, जिससे पर्यावरण पर भार बढ़ता है। ग्रीन सेस से जहां सरकारी आय बढ़ेगी, वहीं यह योजना लोगों को स्वच्छ ऊर्जा वाहनों की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है “विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ।” अगर यह योजना सही ढंग से लागू हुई, तो यह उत्तराखंड के लिए मॉडल स्कीम बन सकती है, जिसे अन्य पहाड़ी राज्य भी अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।









