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NRC नंबर से हो रहा वेरीफिकेशन, पता चलेगा कौन असम का और कौन बांग्लादेशी

क्या यूपी में काम करने वाले असली असम के हैं या बांग्लादेशी? NRC नंबर से होगा फुल वेरीफिकेशन, जिससे खुलेंगे सभी छुपे हुए राज, जिसे पढ़कर आप भी रह जाएंगे हैरान! क्लिक करें और पूरी बात जानें।

By Manju Negi

असम में रहने वाले नागरिकों और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के बीच पहचान का काम अब NRC यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर नंबर की मदद से आसानी से किया जा सकता है। यह नंबर हर उस व्यक्ति को दिया जाता है जो असम सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो। इस नंबर की सहायता से पता चलता है कि कोई व्यक्ति असल में असम का नागरिक है या विदेशी। खासकर उन इलाकों में जहां बहुत से लोग काम करते हैं, वहां इस नंबर की जांच से असली नागरिक और गैर-कानूनू प्रवासी अलग पहचाने जा रहे हैं।

NRC नंबर से हो रहा वेरीफिकेशन, पता चलेगा कौन असम का और कौन बांग्लादेशी

NRC नंबर की जांच कैसे होती है

जब कोई व्यक्ति अपने NRC नंबर की जानकारी देता है, तब सरकारी अधिकारी और पुलिस उसका सत्यापन करते हैं। यह प्रक्रिया कई दस्तावेजों के आधार पर होती है, जिसमें परिवार का रजिस्टर, जन्म प्रमाणपत्र और पूर्वजों की नागरिकता की जानकारी शामिल होती है। इस जांच के दौरान यह समझा जाता है कि क्या वह व्यक्ति असम का मूल निवासी है या नहीं। यह तरीका भ्रष्टाचार और गलत पहचान रोकने में मदद करता है।

उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में NRC नंबर की भूमिका

असम से बाहर भी खासतौर पर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में NRC नंबर के आधार पर काम करने वाले लोगों की पहचान हो रही है। इससे यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति असम का नागरिक है या बांग्लादेशी घुसपैठिया। आधार कार्ड के साथ NRC नंबर पुलिस के लिए एक अहम पहचान टूल बन गया है। इसके जरिए अवैध कामगारों की पहचान और ट्रैकिंग संभव हो रही है, जिससे कानून व्यवस्था में भी सुधार हो रहा है।

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NRC का इतिहास और महत्व

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर असम में पहली बार 1951 में बनाया गया था। इसका उद्देश्य था कि असम के वास्तविक नागरिकों और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच फर्क किया जा सके। समय-समय पर इस रजिस्टर को अपडेट किया जाता रहा है। इसकी वजह से असम में कई लोगों की नागरिकता की स्थिति स्पष्ट हुई है। NRC नंबर वर्तमान समय में नागरिकता की पहचान और सुरक्षा का एक अनिवार्य जरिया बन चुका है।

NRC नंबर से सुरक्षा और व्यवस्था को मजबूती

यह नंबर न केवल असम के सचित्र नागरिकों की पहचान करता है, बल्कि राज्य में अवैध प्रवास को खत्म करने में भी मदद करता है। प्रशासन को इस से स्थानीय स्तर पर सही सूचना मिलती है जिससे वे उचित कदम उठा सकते हैं। इसकी मदद से असम की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता में सुधार होता है और लोगों को अपनी असली पहचान सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। भविष्य में यह प्रक्रिया पूरे भारत में विस्तार से लागू की जा सकती है।

इस प्रकार NRC नंबर असम के नागरिकों के लिए एक पहचान का आधार बन गया है, जो राज्य की सीमाओं के भीतर और बाहर उनकी नागरिकता को प्रमाणित करता है। यह संख्या अवैध घुसपैठियों की पहचान और उन्हें बाहर करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो रही है।

Author
Manju Negi
अमर उजाला में इंटर्नशिप करने के बाद मंजु GyanOk में न्यूज टीम को लीड कर रही है. मूल रूप से उत्तराखंड से हैं और GyanOk नेशनल और राज्यों से संबंधित न्यूज को बारीकी से पाठकों तक अपनी टीम के माध्यम से पहुंचा रही हैं.

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