उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत बीएड शिक्षकों के लिए एक नई प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब इन शिक्षकों को अपनी नियुक्ति वैध बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से छह माह का ‘ब्रिज कोर्स’ पूरा करना होगा। यह कोर्स सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू किया गया है और देशभर के बीएड अर्हताधारी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ी आवेदन तिथि
एनआईओएस ने पहले आवेदन की आखिरी तारीख 25 दिसंबर तय की थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 19 जनवरी कर दिया गया है ताकि अधिकतम शिक्षक इसमें भाग ले सकें। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने वाले बीएड धारकों को भी ‘प्राथमिक शिक्षक शिक्षा’ के अनुरूप प्रशिक्षण मिल सके।
यूपी से सबसे ज्यादा आवेदन
एनआईओएस को देशभर से अब तक 56,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 32,106 आवेदन केवल उत्तर प्रदेश से आए हैं। यह संख्या कुल आवेदनों का लगभग आधा हिस्सा है। इतनी बड़ी संख्या इसलिए है क्योंकि यूपी में 69,000 शिक्षकों की नियुक्ति बीएड पात्रता के आधार पर हुई थी। इसके बाद सबसे अधिक आवेदन मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने किए हैं।
ऑनलाइन मोड में होगा ‘ब्रिज कोर्स’
यह कोर्स पूरी तरह ऑनलाइन यानी ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) मोड में संचालित होगा। एनआईओएस की ओर से बताया गया है कि प्रत्येक शिक्षक को कोर्स की शुरुआत की तारीख से एक वर्ष के भीतर यह प्रशिक्षण पूरा करना होगा। कोर्स पूरा न करने वाले शिक्षकों की नियुक्ति अमान्य हो जाएगी।
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एनसीटीई की मान्यता और कोर्स संरचना
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने जुलाई 2025 में इस ब्रिज कोर्स को औपचारिक मान्यता प्रदान की है। इसमें थ्योरी के 40 और प्रैक्टिकल के 50 अंक होंगे। शिक्षकों को पास होने के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार अंक प्राप्त करना जरूरी होगा। इसमें शिक्षण पद्धति, बाल मनोविज्ञान, कक्षा प्रबंधन और मूल्यांकन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल किए गए हैं।
जारी हुई विस्तृत गाइडलाइन
एनआईओएस ने कोर्स की पढ़ाई और मूल्यांकन से संबंधित विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की है। इसमें बताया गया है कि शिक्षकों को अध्ययन सामग्रियां ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से मिलेंगी और समय-समय पर असाइनमेंट जमा करने होंगे। साथ ही, शिक्षकों को ऑनलाइन इंटरएक्टिव सेशन और प्रैक्टिकल गतिविधियों में भी भाग लेना होगा।
शिक्षकों के लिए नई उम्मीद
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल बीएड शिक्षकों के लिए बड़ी राहत है। पहले उनकी नियुक्तियां कानूनी सवालों में फंसी हुई थीं, लेकिन अब यह कोर्स पूरा करने के बाद उनकी वैधता पक्की हो जाएगी। इसके साथ ही यह कदम प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगा।









