कल बुधवार 9 जुलाई को देशभर में Bharat Band का आवाहन किया गया है, इस Bharat Band में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी हिस्सा लें सकते हैं. यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार की “मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों” के विरोध में की जा रही है। यह बंद 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर आयोजित किया जा रहा है।

किन सेवाओं पर पड़ेगा Bharat Band का असर?
इस Nationwide Strike से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, सार्वजनिक परिवहन और कई अन्य सार्वजनिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है. हिंद मजदूर सभा के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह सिद्धू ने बताया कि कई राज्य परिवहन निगम, फैक्टरी और खनन गतिविधियां ठप हो सकती हैं. बैंकिंग सेक्टर में भी व्यापक असर की आशंका है, जिससे आम नागरिकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
क्या स्कूल‑कॉलेज बंद होंगे?
इस दौरान स्कूल और कॉलेज खोलने या बंद करने को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई है. हालांकि, परिवहन सेवाओं में होने वाली व्यवधानों जैसे बाधित सार्वजनिक बस सेवाएँ, रोड ब्लॉकेड और कैब‑ऑटो की कमी के कारण Students और Teachers को आने-जानें में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
कई राज्यों में जैसे Tamil Nadu और Puducherry में स्कूल और कॉलेज बंद रहने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अन्य राज्यों में यह अभी अनिश्चित है और स्थानीय स्तर पर कोई अंतिम निर्णय आने तक स्थिति सामान्य बनी रहने की उम्मीद है।
किस वजह से हो रहा है विरोध?
हड़ताल की जड़ें यूनियनों द्वारा सरकार को सौंपी गई 17 सूत्रीय मांग-पत्र में हैं, जिसे पिछले साल श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को सौंपा गया था. यूनियनों का आरोप है कि सरकार ने इस मांग-पत्र को पूरी तरह नजरअंदाज किया है और पिछले एक दशक से वार्षिक श्रम सम्मेलन तक नहीं बुलाया गया, जो सरकार की श्रमिक हितों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है.
किसान संगठन भी देंगे Bharat Band को समर्थन
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने बताया कि इस हड़ताल में न केवल शहरी और औद्योगिक श्रमिक शामिल होंगे, बल्कि किसान और ग्रामीण मजदूर संगठन भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक यूनियनों ने हड़ताल को समर्थन देते हुए देशभर के गांवों में जन लामबंदी की योजना बनाई है.
पहले भी हो चुकी हैं बड़ी हड़तालें
गौरतलब है कि इससे पहले 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को भी इसी प्रकार की व्यापक हड़तालें हो चुकी हैं, जिनमें करोड़ों मजदूरों और किसानों ने हिस्सा लिया था.