Tags

पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग तलाक का आधार बन सकती है ? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

पति या पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग अब तलाक के केस में एक बड़ा हथियार बन सकती है! क्या निजी बातचीत को चोरी-छिपे रिकॉर्ड करना अदालत में सबूत के तौर पर मान्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले पर एक अहम फैसला सुनाया है। क्या यह फैसला आपकी निजता को खतरे में डालेगा, या फिर आपको न्याय दिलाएगा? जानिए, इस बड़े कानूनी बदलाव का पूरा सच।

By Pinki Negi

पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग तलाक का आधार बन सकती है ? सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
तलाक

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में यह साफ कर दिया है कि तलाक के लंबित मामले में पति अपनी पत्नी की फोन पर हुई बातचीत को सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट ने उस पति की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसने पत्नी को बिना बताए उसकी कॉल रिकॉर्ड की थी। कोर्ट का कहना है कि पति का यह कदम किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है, यानी अब ये रिकॉर्डिंग तलाक के केस में एक वैध सबूत मानी जाएगी।

सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है कॉल रिकॉर्डिंग

Supreme Court ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। पहले हाई कोर्ट ने कहा था कि पति, पत्नी की बिना मर्जी रिकॉर्ड की गई बातचीत को तलाक के मामले में सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि यह उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के अनुसार, यह रिकॉर्डिंग सबूत के रूप में पेश की जा सकती है।

पूरा मामला क्या था ?

यह मामला एक कपल से जुड़ा हुआ है, जिनकी शादी 20 फरवरी 2009 को हुई थी और 11 मई 2011 को उनकी एक बेटी हुई। आपसी विवादों के कारण, पति ने 7 जुलाई 2017 को पारिवारिक अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी। बाद में, उसने 3 अप्रैल 2018 को अपनी याचिका में कुछ बदलाव किए और 7 दिसंबर 2018 को अपनी बात की पुष्टि करते हुए अदालत में हलफनामा जमा किया।

पति ने कोर्ट से मांगी कॉल रिकॉर्डिंग सुनाने की अनुमति

पति ने कोर्ट से 9 जुलाई 2019 को सबूत के तौर पर कोर्ट से कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने परमिशन मांगी। उन्होंने बताया कि नवंबर-दिसंबर 2010 और फिर अगस्त से दिसंबर 2016 के बीच उनकी पत्नी से जो फ़ोन पर बात हुई थी, उसे उन्होंने रिकॉर्ड कर लिया था। इन रिकॉर्ड की गई बातचीत को उन्होंने अपने मोबाइल के मेमोरी कार्ड/चिप में सेव किया, जिसे वह सबूत के तौर पर कोर्ट में देना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई, 2025 के फैसले में साफ किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 के तहत, पति-पत्नी के बीच की निजी बातचीत को दूसरे पक्ष की सहमति के बिना सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हालाँकि, इस नियम के दो मुख्य अपवाद हैं: पहला, जब पति-पत्नी के बीच कोई कानूनी कार्यवाही चल रही हो जैसे – तलाक का केस और दूसरा जब कोई एक पक्ष दूसरे पर अपराध का मुकदमा कर रहा हो।

कोर्ट ने यह भी माना कि निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, इन कानूनी कार्यवाहियों में ऐसी बातचीत को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, और इसे निजता का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें