
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने देश की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण बात कही है। उनके अनुसार, भारत को आतंकवाद के खिलाफ छोटे लेकिन तेज हमलों के साथ-साथ पड़ोसियों के साथ जारी लंबे विवादों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब युद्ध के तरीके बदल रहे हैं, इसलिए सेना को जमीन, हवा और पानी के साथ-साथ तकनीक के तालमेल (मल्टी-डोमेन) से काम करना होगा, क्योंकि एक जगह की कार्रवाई का असर अब हर तरफ तुरंत दिखाई देता है।
भारत की सुरक्षा और परमाणु चुनौतियों पर जनरल चौहान का बयान
आईआईटी बॉम्बे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीडीएस जनरल चौहान ने देश की सुरक्षा चुनौतियों पर महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने पाकिस्तान या चीन का सीधे नाम लिए बिना आगाह किया कि भारत के दोनों विरोधी पड़ोसी देश परमाणु शक्ति से संपन्न हैं। जनरल चौहान ने जोर देकर कहा कि भारत को अपनी सैन्य तैयारियों को इस तरह मजबूत रखना चाहिए कि प्रतिरोध का स्तर बना रहे और किसी भी खतरे का समय रहते मुकाबला किया जा सके।
क्षेत्रीय विवादों और सुरक्षा चुनौतियों पर सीडीएस की चेतावनी
सीडीएस ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ जारी सीमा विवादों पर चिंता जताते हुए सेना को हर स्थिति के लिए तैयार रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और क्षेत्रीय तनाव से निपटने के लिए हमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे छोटे लेकिन प्रभावी हमलों के साथ-साथ लंबी अवधि तक चलने वाले संघर्षों के लिए भी मुस्तैद रहना चाहिए। हालाँकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश को युद्ध जैसी स्थितियों से बचने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
आधुनिक युद्ध और सुरक्षा की नई चुनौतियाँ
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने चेतावनी दी है कि भविष्य में आतंकवाद और ‘ग्रे जोन’ युद्ध (शांति और संघर्ष के बीच की स्थिति) एक बड़ी चुनौती बने रहेंगे, जिनसे निपटने के लिए हमें रक्षा के साथ-साथ आक्रामक होने की भी जरूरत है। उन्होंने बताया कि आज के दौर में युद्ध का तरीका पूरी तरह बदल रहा है।
अब केवल पुरानी तकनीकें ही नहीं, बल्कि AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स और हाइपरसोनिक जैसी कई आधुनिक तकनीकें एक साथ मिलकर युद्ध के स्वरूप को प्रभावित कर रही हैं, जिसके लिए सेना को तैयार रहना होगा।









