
भारत में किराये के मकानों का बाजार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इस सेक्टर में पारदर्शिता और नियमों की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने न्यू रेंट एग्रीमेंट 2025 लागू किया है। इसका मकसद है किरायेदार और मकान मालिक दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना, ताकि किसी भी पक्ष को शिकायत या असुरक्षा का सामना न करना पड़े।
अब नहीं मांगा जा सकेगा भारी एडवांस
अक्सर देखा गया है कि मकान मालिक किरायेदार से कई महीनों का एडवांस डिपॉजिट मांग लेते हैं, जिससे किरायेदारों को आर्थिक दबाव झेलना पड़ता है। नए नियमों में इस पर रोक लगा दी गई है।
- रिहायशी मकानों के लिए अब अधिकतम दो महीने का किराया ही सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में मांगा जा सकता है।
- कमर्शियल प्रॉपर्टीज़ (जैसे दुकान या ऑफिस) के लिए यह सीमा छह महीने रखी गई है।
यानी अब कोई मकान मालिक छह महीने या सालभर का एडवांस किराया नहीं मांग सकेगा। इससे किरायेदारों को राहत तो मिलेगी ही, साथ ही बाजार में निष्पक्षता भी बढ़ेगी।
बिना नोटिस के नहीं निकाल पाएंगे किरायेदार
नए एग्रीमेंट में यह साफ कर दिया गया है कि मकान मालिक अब किसी भी किरायेदार को अचानक घर खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। घर खाली करवाने के लिए एक निश्चित नोटिस पीरियड और कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी होगा। इसी तरह किराया बढ़ाने के लिए भी मकान मालिक को पहले से एडवांस नोटिस देना अनिवार्य होगा।
नए नियमों की झलक
| नियम | विवरण |
|---|---|
| सिक्योरिटी डिपॉजिट (घर) | अधिकतम 2 महीने का किराया |
| सिक्योरिटी डिपॉजिट (दुकान/ऑफिस) | अधिकतम 6 महीने का किराया |
| रजिस्ट्रेशन की समय सीमा | एग्रीमेंट साइन होने के 2 महीने के भीतर |
| रजिस्ट्रेशन में देरी पर जुर्माना | ₹5,000 |
| किराया बढ़ाने का नियम | एडवांस नोटिस अनिवार्य |
| विवाद निवारण | रेंट कोर्ट और ट्रिब्यूनल द्वारा त्वरित सुनवाई |
मकान मालिकों को भी राहत मिली
नए कानून को सिर्फ किरायेदारों के लिए नहीं, बल्कि मकान मालिकों के हितों को ध्यान में रखकर भी तैयार किया गया है। अगर कोई किरायेदार लगातार तीन महीने तक किराया नहीं देता, तो मकान मालिक उस पर तुरंत एक्शन ले सकता है। पहले यह प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, लेकिन अब रेंट कोर्ट और ट्रिब्यूनल के जरिए 60 दिनों के भीतर विवाद सुलझाने का प्रावधान किया गया है।
टैक्स में बड़ी राहत
सरकार ने रेंटल इनकम पर भी मकान मालिकों को खास राहत दी है। अब TDS छूट की सीमा ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख सालाना कर दी गई है। इससे जिन लोगों की रेंट इनकम 6 लाख तक है, उन्हें अब टैक्स नहीं देना होगा, और टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया भी काफी आसान हो जाएगी।
| सुविधा | पहले | अब (2025 के बाद) |
|---|---|---|
| TDS छूट की सीमा | ₹2.4 लाख प्रतिवर्ष | ₹6 लाख प्रतिवर्ष |
| टैक्स रिपोर्टिंग | थोड़ी जटिल प्रक्रिया | ‘इनकम फ्रॉम हाउसिंग प्रॉपर्टी’ के अंतर्गत आसान रिपोर्टिंग |
| डिफॉल्टर पर एक्शन | कानूनी प्रक्रिया लंबी | 3 महीने किराया न देने पर त्वरित कार्रवाई |
रेंट विवादों का होगा फास्ट ट्रैक निपटारा
नए ढांचे के तहत हर राज्य में विशेष रेंट कोर्ट्स और ट्रिब्यूनल्स बनाए जाएंगे जहां किरायेदार और मकान मालिक के बीच होने वाले विवादों का समाधान 60 दिनों के अंदर किया जाएगा। इससे सालों तक चलने वाले मुकदमों से छुटकारा मिलेगा, और दोनों पक्षों को न्याय जल्दी मिलेगा।
रेंट एग्रीमेंट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य है। इसे मकान मालिक या किरायेदार राज्य के प्रॉपर्टी पोर्टल या स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफिस के माध्यम से दो महीने के भीतर पूरी कर सकते हैं। देरी की स्थिति में ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
क्यों जरूरी था ये बदलाव?
बीते वर्षों में शहरों में किराये के मकानों का बाजार बहुत बड़ा हो गया है, लेकिन स्पष्ट नियम न होने के कारण मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद आम हो गए थे। कहीं मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा देता था, तो कहीं किरायेदार महीनों तक किराया दिए बिना घर खाली नहीं करता था। नए नियम इन दोनों तरह की समस्याओं को रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लाए गए हैं।









