
1 नवंबर से कई ऐसे बदलाव हो रहे हैं जिनका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ेगा, लेकिन इनमें सबसे बड़ा बदलाव एलपीजी सिलेंडर की कीमतों से जुड़ा है। घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम आखिरी बार 8 अप्रैल 2025 को बदले गए थे और दिल्ली में इसकी कीमत अभी भी ₹853 है। हालांकि, कॉमर्शियल एलपीजी सिलेंडरों की कीमतों में लगभग हर महीने बदलाव आता रहा है।
एलपीजी सिलेंडर के दाम में बढोतरी
पिछले पाँच सालों में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है, जहाँ इसकी कीमत ₹594 से बढ़कर ₹853 तक पहुँच गई है। इसी तरह, कॉमर्शियल सिलेंडर का दाम भी ₹1241.5 से बढ़कर ₹1595.50 हो गया है। उदाहरण के लिए, 1 नवंबर 2020 को दिल्ली में घरेलू सिलेंडर केवल ₹594 का था, जबकि इंडियन ऑयल के डेटा के अनुसार 6 अक्टूबर 2021 तक दिल्ली में इसकी कीमत ₹899.50 और कोलकाता में ₹926 तक पहुँच गई थी, जो कीमतों में आए तेज उछाल को दिखाता है।
दो सालों से घरेलू सिलेंडर की कीमतों में गिरावट
घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में पिछले कुछ समय में काफी कमी आई है। जहाँ 6 जुलाई 2022 को दिल्ली में घरेलू सिलेंडर की कीमत ₹1053 थी, वहीं 30 अगस्त 2023 को यह घटकर ₹903 हो गई थी। इसके बाद, 9 मार्च 2024 तक यह दर और कम होकर दिल्ली में ₹803 तक पहुँच गई। इसी तरह, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में भी सिलेंडर की कीमतों में लगभग ₹250 तक की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है।
बड़े शहरों में 14.2 किलो घरेलू LPG सिलेंडर की कीमत
| शहर | आज का रेट (₹) | 
| दिल्ली | 853.00 | 
| मुंबई | 852.50 | 
| जयपुर | 856.5 | 
| भोपाल | 858.5 | 
| अहमदाबाद | 860 | 
| गुरुग्राम | 861.5 | 
| लखनऊ | 890.5 | 
| पटना | 942.5 | 
| आगरा | 865.5 | 
| मेरठ | 860 | 
| गाजियाबाद | 850.5 | 
| इंदौर | 881 | 
| लुधियाना | 880 | 
| वाराणसी | 916.5 | 
| पुणे | 856 | 
| हैदराबाद | 905 | 
| बेंगलुरू | 855.5 | 
LPG कीमतों का कम और ज्यादा होने का कारण
अप्रैल में 14.2 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत ₹50 बढ़ाई गई, जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण देश में बढ़ती मांग और घरेलू उत्पादन में रुकावट है। जहाँ 2015 से 2025 तक एलपीजी कनेक्शन की संख्या दोगुनी से ज़्यादा (14.9 करोड़ से 32.9 करोड़) हो गई है, वहीं घरेलू एलपीजी का उत्पादन पिछले 8 सालों से 12-13 लाख टन पर ही अटका हुआ है। इस भारी असंतुलन के कारण, पिछले 10 वर्षों में आयात 20% बढ़ गया है, जिससे अब घरेलू कीमतें पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर निर्भर हो गई हैं। सरकार के लिए बढ़ती मांग और आयात पर इस निर्भरता को कम करना एक बड़ी चुनौती है।
 
					







