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भूमि अधिग्रहण पर कोर्ट का बड़ा फैसला, अधिग्रहित जमीन वापस नहीं मिल सकती

हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण पर एक बड़ा फैसला सुनाया है! कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत अधिग्रहित की गई ज़मीन किसी भी कीमत पर वापस नहीं मिल सकती है। हालांकि, कोर्ट ने मुआवजे के भुगतान में देरी पर नाराज़गी जताते हुए अधिकारियों को एक महीने में भुगतान करने का सख्त आदेश दिया है।

By Pinki Negi

भूमि अधिग्रहण पर कोर्ट का बड़ा फैसला, अधिग्रहित जमीन वापस नहीं मिल सकती
भूमि अधिग्रहण पर कोर्ट का बड़ा फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ किया है कि नेशनल हाईवे एक्ट के तहत एक बार अधिग्रहीत की गई जमीन को उसके मूल मालिक को वापस नहीं किया जा सकता, भले ही वह जमीन सालों तक इस्तेमाल न हुई हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईवे बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण एक विशेष कानून के तहत होता है। जैसे ही अधिग्रहण पूरा हो जाता है, वह जमीन स्थायी रूप से केंद्र सरकार के अधिकार में आ जाती है और उसे वापस नहीं किया जा सकता।

राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित ज़मीन वापस नहीं होगी

न्यायमूर्ति अजित कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने भूस्वामियों (जमीन के मालिकों) द्वारा दायर अजीम अहमद सहित कई याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम में एक बार अधिग्रहण हो जाने के बाद जमीन वापस करने का कोई नियम या प्रावधान नहीं है।

हाईवे चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित जमीन वापस नहीं मिलेगी

याचिकाकर्ताओं ने यह कहकर अपनी ज़मीन वापस मांगी थी कि उनकी जमीन रामपुर से काठगोदाम तक NH-87 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई थी, लेकिन सालों से उसका उपयोग नहीं हुआ है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी के वकील प्रांजल मेहरोत्रा ने तर्क दिया कि नेशनल हाईवे एक्ट की धारा-3डी (2) के अनुसार, एक बार जमीन सरकार के अधीन हो जाने पर मूल मालिक का अधिकार खत्म हो जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीन का उपयोग बाद में हो या न हो, उसे कानूनी रूप से लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

मुआवजे के भुगतान में देरी पर कोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे के भुगतान में देरी पर कड़ी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि यदि किसी भी ज़मीन मालिक को अभी तक निर्धारित मुआवजा नहीं मिला है, तो संबंधित अधिकारी एक महीने के भीतर इसका भुगतान सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा दिए बिना किसी की भी ज़मीन पर कब्ज़ा रखना कानून के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है।

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Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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