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यूपी के 1.69 लाख किसानों की बढ़ी मुश्किल! इस नंबर के बिना नहीं मिलेगा खाद-बीज, जानें नया नियम

यूपी के 1.69 लाख से ज़्यादा किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं! अब एक खास नंबर के बिना आपको खाद-बीज नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार के इस नए नियम के कारण लाखों किसानों को दिक्कत हो सकती है। उस ज़रूरी नंबर और नियम को जानने के लिए आगे पढ़ें, ताकि आपका काम न रुके।

By Pinki Negi

यूपी के 1.69 लाख किसानों की बढ़ी मुश्किल! इस नंबर के बिना नहीं मिलेगा खाद-बीज, जानें नया नियम
UP Farmer Registry

अब किसानों को फार्मर रजिस्ट्री (किसान पंजीकरण) कराए बिना खाद और बीज नहीं मिल पाएगा। खाद-बीज प्राप्त करने के लिए किसानों का सहकारी समिति का सदस्य होना और साथ ही फार्मर रजिस्ट्री करवाना ज़रूरी है। खाद और बीज खरीदते समय, चाहे वह समिति से हो या निजी दुकान से, किसान का रजिस्ट्री नंबर दर्ज किया जाएगा। इसलिए जिन किसानों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वे तुरंत जनसेवा केंद्र, सहायक ऐप लॉगिन या अपने मोबाइल से सेल्फ-मोड के ज़रिए रजिस्ट्रेशन करा लें।

योजनाओं के लाभ के लिए फार्मर रजिस्ट्री अनिवार्य

उप निदेशक कृषि विकेश पटेल के अनुसार, अब किसानों के लिए फार्मर रजिस्ट्री नंबर होना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त और कृषि विभाग की अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह ज़रूरी है। अब साधन सहकारी समिति और निजी खाद-बीज की दुकानों के वितरण रजिस्टर में भी किसान का फार्मर रजिस्ट्री नंबर दर्ज किया जाएगा, और नंबर दर्ज न करने वाले विक्रेताओं पर कार्रवाई की जाएगी।

1,69,474 किसानों ने अभी तक नहीं की रजिस्ट्री

जनपद में कुल 3,82,792 किसान हैं, जिनमें से 2,13,318 किसानों ने अपनी फार्मर रजिस्ट्री पूरी करा ली है। हालांकि, अभी भी 1,69,474 किसानों ने यह रजिस्ट्री नहीं कराई है। तहसील-वार बात करें तो चुनार में 70,040, मीरजापुर सदर में 83,427, मड़िहान में 25,910, और लालगंज में 33,941 किसानों ने फार्मर रजिस्ट्री करवाई है।

फार्मर रजिस्ट्री (किसान गोल्डन कार्ड) क्या है?

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर (एग्री स्टैक) के तहत फार्मर रजिस्ट्री या किसान गोल्डन कार्ड तैयार किया जा रहा है। यह एक ऐसा डिजिटल माध्यम है जिसमें भूमिधारक किसानों का पूरा विवरण (नाम, पता, आधार संख्या, भूमि का विवरण, और स्वामित्व का अंश) संकलित (इकट्ठा) किया जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि स्वामित्व हस्तांतरण (जैसे विरासत या बैनामा) होने पर यह स्वतः ही अपडेट हो जाता है। इससे किसानों को फसली लोन, फसल बीमा क्षतिपूर्ति और आपदा राहत का लाभ आसानी से मिल सकेगा।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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