
यह घटना किसी फ़िल्मी कहानी जैसी लग सकती है, लेकिन यह सच है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक बैंक में कर्मचारियों से हुई एक बड़ी ‘फैट-फिंगर एरर’ (टाइपिंग की गलती) के कारण एक साधारण बचत खाते में गलती से ₹1,00,000 करोड़ (एक लाख करोड़ रुपये) जमा हो गए।
हैरानी की बात यह रही कि बैंक ने इस बड़ी गलती की जानकारी तुरंत अपने बड़े अधिकारियों (टॉप मैनेजमेंट) या बोर्ड को नहीं दी, और यह गंभीर मामला छह महीने तक दबा रहा। अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए इस पूरी घटना की जाँच और पूछताछ शुरू कर दी है।
कर्नाटक बैंक में ₹1 लाख करोड़ की ऐतिहासिक गलती
कर्नाटक बैंक के बैंकिंग सिस्टम में इतिहास की सबसे बड़ी गलतियों में से एक सामने आई है, जिसने पूरे देश के बैंकिंग नियामक (रेगुलेटर) को सतर्क कर दिया है। दरअसल, 9 अगस्त 2023 को शाम 5:17 बजे एक कर्मचारी ने गलती से एक निष्क्रिय बचत खाते (Dormant Saving Account) में ₹1,00,000 करोड़ की एंट्री कर दी।
यह पैसा वास्तव में ट्रांसफर नहीं हुआ, क्योंकि यह केवल सिस्टम एंट्री थी, लेकिन यह रकम बैंक के कुल एडवांसेज (₹76,541 करोड़) से भी कई गुना अधिक थी। बैंक के आकार से भी बड़ी यह गलत एंट्री अब बैंकिंग सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय बन गई है।
चौंकाने वाली बात
यह पूरा लेनदेन (एंट्री) उसी दिन रात 8:09 बजे वापस (रिवर्स) कर दिया गया, यानी यह प्रक्रिया सिर्फ़ लगभग 3 घंटों के भीतर पूरी हो गई। अच्छी बात यह रही कि इस लेन-देन के रिवर्स होने से पैसे का कोई नुकसान नहीं हुआ और पैसा वापस खाते में आ गया।
बैंक की लापरवाही
RBI की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि गड़बड़ी सामने आने के बाद 6 महीने तक चुप्पी रही।
- समस्या की शुरुआत: गड़बड़ी की जानकारी बैंक की रिस्क मैनेजमेंट टीम को मिली।
- बड़ी लापरवाही: इस जानकारी को बैंक के बोर्ड तक पहुँचने में छह महीने लगे।
- 4 मार्च 2024: पहली बार रिस्क कमेटी को मामले की सूचना दी गई।
- 11 मार्च 2024: रिस्क कमेटी ने IT विभाग से विस्तृत रिपोर्ट माँगी।
- 28 मार्च 2024: बोर्ड के सामने मामले का प्रेजेंटेशन दिया गया।
- 23 अक्टूबर 2024: मामला फिर से बोर्ड मीटिंग में उठा, जिससे स्पष्ट हुआ कि समस्या अभी भी पूरी तरह से हल नहीं हुई थी।
सिस्टम फेलियर पर RBI की सख्त चिंता और बैंक की कार्रवाई
इस बड़े सिस्टम फेलियर पर RBI की मुख्य चिंता दो बातों को लेकर है: पहला, इतने बड़े फेलियर को लगभग 6 महीनों तक बैंक बोर्ड से क्यों छिपाया गया? और दूसरा, बैंक के आंतरिक नियंत्रण (Internal Controls) और रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम इतने कमज़ोर कैसे हो सकते हैं? इस घटना को RBI अब अपनी वार्षिक निगरानी में मुख्य मुद्दा मान रहा है।
जवाबदेही तय करते हुए, बैंक ने CISA ऑडिटर से IT सिस्टम का ऑडिट कराया और चार से पांच वरिष्ठ अधिकारियों को ज़िम्मेदारी तय कर बैंक छोड़ने को कहा गया है। हालांकि, बैंक का आधिकारिक बयान है कि मामला हल कर दिया गया है, कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है, और इसकी सूचना रेगुलेटर को दे दी गई है, लेकिन RBI इसे एक गंभीर सिस्टम फेलियर मानकर जांच कर रहा है, क्योंकि यह सवाल बना हुआ है कि अगर खाता डॉर्मेंट न होता, तो क्या कोई गलत फायदा उठा सकता था।









