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BNS Section 299: बदल गया कानून! अब सोशल मीडिया पर भी दूसरे धर्म का अपमान पड़ेगा भारी, पुलिस बिना वारंट करेगी गिरफ्तार

सोशल मीडिया पर किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी करना अब आपको भारी पड़ सकता है! नए कानून की धारा 299 के तहत पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार मिल गया है। क्या है यह नया नियम और कैसे बदल गई है सजा? पूरी जानकारी के लिए अभी पढ़ें।

By Pinki Negi

BNS Section 299: बदल गया कानून! अब सोशल मीडिया पर भी दूसरे धर्म का अपमान पड़ेगा भारी, पुलिस बिना वारंट करेगी गिरफ्तार
BNS Section 299

आज के समय में सोशल मीडिया या किसी भी सार्वजनिक मंच पर दिया गया एक विवादित बयान आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। देश में नफरत भरे भाषणों (हेट स्पीच) को रोकने के लिए कानून तो पहले से ही थे, लेकिन अब कई राज्य इन्हें और भी ज्यादा सख्त बना रहे हैं। धर्म के अपमान या नफरत फैलाने पर अब भारी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। ऐसे में यह सवाल बड़ा हो गया है कि कानून की यह सख्ती समाज में शांति बनाए रखने के लिए है या फिर यह कहीं न कहीं हमारी बोलने की आज़ादी को कम कर रही है।

हेट स्पीच पर सख्त हुए राज्य

भारत में धर्म और जाति से जुड़े भड़काऊ बयानों को रोकने के लिए अब राज्य सरकारें और भी सख्त कदम उठा रही हैं। हालांकि देश में पहले से ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं लागू हैं, लेकिन शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्नाटक ने नया हेट स्पीच विधेयक पारित किया है और तेलंगाना भी इसी तरह की सख्ती की तैयारी में है। इन नए नियमों का उद्देश्य समाज में नफरत फैलाने वालों पर लगाम कसना है, जिसने अब देश भर में एक नई बहस छेड़ दी है।

अब इशारों और डिजिटल संदेशों पर भी होगी सख्त कार्रवाई

कर्नाटक विधानसभा द्वारा पारित नए विधेयक में ‘हेत स्पीच’ (नफरत भरे भाषण) के नियमों को पहले से कहीं ज्यादा सख्त बना दिया गया है। अब केवल बोलना ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया संदेश, फोटो, वीडियो और यहाँ तक कि नफरत भरे इशारे भी अपराध माने जाएंगे। इस कानून की खास बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति किसी समुदाय या समूह के खिलाफ जानबूझकर नफरत फैलाता है, तो उसे सजा मिलेगी—चाहे वह बयान किसी जीवित व्यक्ति के लिए हो या मृत व्यक्ति के लिए। इस बदलाव का उद्देश्य समाज में दुश्मनी और वैमनस्य फैलाने वाली हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर लगाम लगाना है।

धार्मिक अपमान पर अब खैर नहीं

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार दूसरे धर्मों का अपमान करने और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ बेहद कड़ा कानून बनाने वाली है। इसके लिए पुराने नियमों में बदलाव की तैयारी चल रही है, ताकि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले लोगों को कठोर सजा दी जा सके। हालांकि इस नए बिल का फाइनल ड्राफ्ट अभी आना बाकी है, लेकिन सरकार के इस फैसले से यह साफ है कि आने वाले समय में भड़काऊ बयानबाजी (हेट स्पीच) करने वालों पर कानूनी शिकंजा और भी कसने वाला है।

BNS की धारा 196 कैसे रोकती है नफरत भरी बातें

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में ‘हेट स्पीच’ के लिए कोई अलग से नया नाम नहीं दिया गया है, बल्कि इसे पुराने कानूनों की तरह ही अपराध माना गया है। अब नई धारा 196 वही काम करती है जो पहले IPC की धारा 153A करती थी। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति धर्म, जाति, भाषा या समुदाय के नाम पर नफरत फैलाता है या समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश करता है, तो उसे अपराधी माना जाएगा। चाहे वह बोलकर हो, लिखकर हो या इशारों में, अगर किसी के बयान से सार्वजनिक शांति भंग होती है, तो इस धारा के तहत कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में भाईचारा और शांति बनाए रखना है।

BNS में हेट स्पीच पर सजा के प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS) में समाज में डर या नफरत फैलाने वाली झूठी और भड़काऊ सूचनाओं पर लगाम लगाने के लिए सख्त प्रावधान रखे गए हैं। पुराने कानून (IPC 505) की तरह ही अब भी उन बयानों पर कार्रवाई की जाएगी जो कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते हैं। हालांकि, विधि आयोग ने हेट स्पीच के लिए अलग से नई और सख्त धाराएं (153C और 505A) जोड़ने का सुझाव दिया था, लेकिन वर्तमान में इन्हें स्वतंत्र धाराओं के रूप में शामिल नहीं किया गया है। अभी भी हेट स्पीच और नफरत भरे बयानों से जुड़े अपराधों को मुख्य रूप से BNS की धारा 196 और उससे संबंधित नियमों के तहत ही सुलझाया जाता है।

यूपी, एमपी और असम में प्रशासन का कड़ा रुख

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों में भड़काऊ भाषण और सांप्रदायिक बयानबाजी को लेकर प्रशासन बेहद सख्त है। हालांकि, इन राज्यों में ‘हेट स्पीच’ के लिए अभी कोई अलग से नया कानून नहीं बना है, लेकिन फिर भी दोषी पाए जाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) जैसी गंभीर धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई की जाती है। प्रशासनिक मुस्तैदी के कारण यहाँ भड़काऊ बयान देने वालों को कड़ी सजा मिलने का डर बना रहता है, जिससे शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलती है।

अभिव्यक्ति की आजादी बनाम हेट स्पीच

हेट स्पीच के खिलाफ सख्त कानूनों को लेकर अक्सर यह बहस होती है कि क्या इससे लोगों के बोलने की आज़ादी (Freedom of Speech) छिन जाएगी। भारत का संविधान अनुच्छेद 19 के तहत हमें अपनी बात रखने की आज़ादी तो देता है, लेकिन समाज की शांति, नैतिकता और आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए इस पर कुछ नियम और पाबंदियाँ भी लगाता है। सरकारें इसी संतुलन का हवाला देते हुए नए कानूनों को जरूरी बता रही हैं, ताकि बोलने की आज़ादी का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए न किया जा सके।

अब सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान पड़ेगा महंगा

कर्नाटक और तेलंगाना सरकारों के कड़े कदमों के बाद अब देश के अन्य राज्य भी ‘हेट स्पीच’ यानी भड़काऊ बयानों को लेकर अपने नियमों को सख्त करने की तैयारी में हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर बढ़ती नफरत को रोकने के लिए सरकारें अब ऑनलाइन कंटेंट पर कड़ी नजर रखेंगी। इसका सीधा मतलब यह है कि आने वाले समय में सोशल मीडिया पर दिया गया कोई भी विवादित बयान केवल बहस का मुद्दा नहीं बनेगा, बल्कि बोलने वाले के लिए बड़ा कानूनी संकट और जेल की वजह भी बन सकता है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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