
काजीगुंड रेलवे स्टेशन हाल ही में एक यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद अचानक सुर्खियों में आ गया है। जासूसी के आरोपों से घिरी ज्योति के सोशल मीडिया प्रोफाइल की डिस्प्ले पिक्चर में यही स्टेशन नजर आ रहा है, जो कश्मीर के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। बर्फ से ढका यह स्टेशन जनवरी के माह का प्रतीक बनकर उभरा है, जब घाटी में बर्फबारी अपने चरम पर होती है। यह स्टेशन श्रीनगर-कटड़ा लाइन पर स्थित है और इसका नाम है काजीगुंड (Qazigund)।

श्रीनगर-कटड़ा लाइन का महत्वपूर्ण हिस्सा
काजीगुंड को श्रीनगर घाटी का मुख्य प्रवेश द्वार माना जाता है। यह स्टेशन 118 किलोमीटर लंबे काजीगुंड-बारामूला रेलखंड का अभिन्न हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का उद्घाटन अक्टूबर 2009 में हुआ था। यह प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर के लिए एक इंजीनियरिंग चमत्कार जैसा है, जिसने भौगोलिक बाधाओं को पार करते हुए घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया।
निर्माण की शुरुआत और विकास
काजीगुंड स्टेशन का निर्माण आज से करीब 16 साल पहले शुरू किया गया था। इसके चार साल बाद, जून 2013 में 18 किलोमीटर लंबा बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन चालू हुआ। इस सेक्शन ने श्रीनगर, बारामूला और काजीगुंड जैसे बड़े शहरों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही यात्रियों को बेहतर सुरक्षा और समय की बचत भी मिली।
पीर पंजाल सुरंग: भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग
इस सेक्शन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है पीर पंजाल सुरंग, जो 11.2 किलोमीटर लंबी है और देश की सबसे लंबी रेल सुरंग मानी जाती है। यह सुरंग बनिहाल और काजीगुंड को जोड़ती है और घाटी के कठिन भूगोल में सफर को सुगम बनाती है। इसके एक साल बाद, जुलाई 2014 में उधमपुर-वैष्णो देवी कटड़ा लाइन का उद्घाटन हुआ, जिससे लाखों श्रद्धालुओं को राहत मिली और माता वैष्णो देवी के दर्शन तक की यात्रा आसान हो गई।
1750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित
काजीगुंड स्टेशन 1750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे घाटी को रेल नेटवर्क से जोड़ने वाले एक केंद्रीय स्टेशन के रूप में देखा जाता है। यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण ट्रांजिट प्वाइंट है, जो कश्मीर के आंतरिक हिस्सों तक पहुंचने के लिए रेल को प्राथमिकता देते हैं।
केवल दो प्लेटफॉर्म और सीमित लेकिन उपयोगी ट्रेनें
काजीगुंड स्टेशन पर केवल दो प्लेटफॉर्म हैं, लेकिन यहां से श्रीनगर, बारामूला और बनिहाल के लिए नियमित ट्रेनें चलती हैं। कुल 16 ट्रेनें रोजाना चलती हैं, जिनमें डेमू (DEMU) और कुछ मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल हैं। ये ट्रेनें घाटी के भीतर आवागमन का मुख्य जरिया बन गई हैं, जो अनंतनाग, अवंतीपुरा और पंपोर जैसे प्रमुख स्टेशनों को जोड़ती हैं।